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राज्य में बढ़ते तापमान को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने किया अलर्ट

लू से पीड़ित मरीजों के इलाज पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं.

लू पीड़ित मरीजों के इलाज पर विशेष ध्यान देने का निर्देश

कोलकाता. शहर में पिछले कई दिनों से काफी गर्मी पड़ रही है. हालांकि पिछले सप्ताह कोलकाता समेत आस-पास के जिलों में तेज आंधी के साथ बारिश भी हुई थी. इसके बाद भी गर्मी ले राहत नहीं मिल रही है. मौसम के मिजाज को देखते हुए राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने सभी सरकारी अस्पतालों को सतर्क कर दिया है. लू से पीड़ित मरीजों के इलाज पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिये गये हैं. इसके अलावा, सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अन्य सरकारी अस्पतालों के इंडोर वार्ड में बर्फ के पैकेट, ओआरएस और इमरजेंसी विभाग में जीवन रक्षक दवाएं रखने के निर्देश दिये गये हैं. अस्पतालों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था करें, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को किसी प्रकार की परेशानी न हो.

हीट वेव हो सकती है जानलेवा : डॉक्टर

विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक गर्मी न केवल असुविधाजनक होती है, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकती है. दमदम के आइएलएस अस्पताल के डॉ पिनाकी दे बताते हैं कि गर्मी से होने वाली सबसे आम समस्या घमौरी है. लेकिन, अगर शरीर लंबे समय तक हीट वेव के संपर्क में रहे, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. हीट क्रैम्प्स, हीट एक्सहॉशन और सबसे खतरनाक स्थिति हीट स्ट्रोक तक हो सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकती है. हीट क्रैम्प्स में शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स और पानी की कमी से मांसपेशियों में ऐंठन होती है. हीट वेव से प्रभावित व्यक्ति को तुरंत ठंडी और छायादार जगह पर ले जाकर ओआरएस या इलेक्ट्रोलाइट्स वाला पेय देना चाहिए. गर्मी से थकान, सिरदर्द, उल्टी और मांसपेशियों में ऐंठन जैसे लक्षण दिखायी दे सकते हैं. सबसे खतरनाक स्थिति हीट स्ट्रोक है, जिसमें शरीर का तापमान 103 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर चला जाता है और व्यक्ति को ऐंठन या बेहोशी आ सकती है. जब तापमान 104 डिग्री फारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से अधिक हो जाता है, तो मस्तिष्क, हृदय, फेफड़े, यकृत और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंग गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं. समय पर इलाज न मिलने पर मृत्यु भी हो सकती है. हीट वेव से जुड़ी बीमारियों का इलाज तभी संभव है जब लक्षणों को जल्दी पहचानकर तुरंत कार्रवाई की जाये. सावधानी और जागरूकता ही बचाव का सबसे अच्छा तरीका है.

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