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महिलाओं के लिए नाइट ड्यूटी अनिवार्य नहीं

राज्य सरकार अब महानगर सहित पूरे राज्य भर में नाइट ड्यूटी करनेवाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश लाने जा रही है. गृह विभाग ने इस संबंध में एक मसौदा तैयार कर लिया है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महिलाओं के लिए नाइट ड्यूटी अनिवार्य नहीं है. जो महिलाएं नाइट ड्यूटी करना चाहती हैं, उन्हें संबंधित संगठन से लिखित अनुमति लेनी होगी.

कोलकाता.

राज्य सरकार अब महानगर सहित पूरे राज्य भर में नाइट ड्यूटी करनेवाली महिलाओं की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश लाने जा रही है. गृह विभाग ने इस संबंध में एक मसौदा तैयार कर लिया है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि महिलाओं के लिए नाइट ड्यूटी अनिवार्य नहीं है. जो महिलाएं नाइट ड्यूटी करना चाहती हैं, उन्हें संबंधित संगठन से लिखित अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, आइटी, स्वास्थ्य, परिवहन, पुलिस समेत विभिन्न विभाग, जो रात में महिलाओं के लिए नाइट ड्यूटी की श्रेणी में शामिल हैं, उनसे कुछ मुद्दों पर सलाह मांगी गयी है.

गौरतलब है कि विभिन्न आइटी कंपनियों, कॉल सेंटरों समेत कई क्षेत्रों में महिलाएं नाइट ड्यूटी करती हैं. राज्य सरकार उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दिशानिर्देश लाने जा रही है. आरजी कर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की घटना के बाद, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से नाइट ड्यूटी करने वाली महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जायेगा. अदालत ने भी राज्य सरकार को इस प्रकार का दिशानिर्देश जारी करने का निर्देश दिया था.

राज्य सचिवालय के सूत्रों के अनुसार, इस मसौदा प्रस्ताव में कुल 22 मुद्दों पर विस्तारित रूप से वर्णन किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी संस्था व कंपनी को रात में कार्यालय जाते समय महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. ऐसे में जिस वाहन में महिला कर्मचारी यात्रा करेंगी, वह जीपीएस ट्रैकिंग से लैस होना चाहिए, साथ ही उस वाहन में प्रशिक्षित महिला सुरक्षागार्ड भी तैनात करने होंगे. इसके साथ ही वाहन में आपातकालीन अलर्ट सिस्टम भी होना चाहिए. मसौदा में कहा गया है कि रात की शिफ्ट रात आठ बजे से सुबह छह बजे तक होगी. नाइट शिफ्ट में कम से कम 10 महिलाओं या कुल शिफ्ट की एक-तिहाई को एक साथ काम पर रखना होगा. इसके अलावा, महिला कर्मचारियों के लिए आराम करने की जगह और कैंटीन की व्यवस्था करने को कहा गया है, ताकि उन्हें कार्यालय परिसर से बाहर न जाना पड़े. कार्यालय के प्रवेश-निकास और गलियारों में सीसीटीवी लगाना होगा. गृह विभाग ने मसौदा प्रस्ताव में कार्यालय में एक आंतरिक शिकायत समिति गठित करने को कहा गया है. साथ महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में जीरो टॉलरेंस की नीति रखने की सिफारिश की गयी है.

इस संबंध में राज्य सचिवालय में गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कार्यस्थल सुरक्षा के लिए आपातकालीन नंबर को कार्यालय में ऐसी जगह टांगने को कहा गया है, जिस पर सभी की नजर रहेगी. कंपनी के अधिकारियों को निर्देश दिया जायेगा कि वे अपनी सुरक्षा नीति स्थानीय भाषा में सभी को समझायें. साथ ही, जिन कंपनियों में ये महिला कर्मचारी नाइट ड्यूटी करेंगी, उन पर भी कड़ी नजर रखी जायेगी. मसौदे में कहा गया है कि हर कंपनी में एक आंतरिक सुरक्षा समीक्षा समिति होगी. इसके सदस्य हर तीन महीने में बैठक करेंगे और देखेंगे कि सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं! अगर ऐसा नहीं किया गया, तो श्रम कानून के मुताबिक कंपनी पर जुर्माना लगाया जायेगा और एकाधिक बार ऐसा नहीं करने पर कंपनी का लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.

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