घटना के दिन से 60 वर्ष तक दोनों आरोपियों को जेल में ही रहना होगा
संवाददाता, कोलकाता
पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दो दोषियों की फांसी की सजा को कलकत्ता हाइकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया. हाइकोर्ट में जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस शब्बार रशीदी की बेंच ने बुधवार को ये फैसला सुनाया. कलकत्ता हाइकोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोषी फागुन मंडी उर्फ पुई और रवींद्र राउथ उर्फ भाकू सुधर सकते हैं. कलकत्ता हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की इस दलील को नजर में रखते हुए दोनों दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का आदेश दिया. पांच साल की बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की वारदात में ट्रायल कोर्ट ने फागुन और रवींद्र को जून 2023 में दोषी बताते हुए फांसी की सजा सुनायी थी. दोनों ने सजा के खिलाफ कलकत्ता हाइकोर्ट में अपील की थी. कलकत्ता हाइकोर्ट की बेंच ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों दोषियों की उम्र, सामाजिक और आर्थिक स्थिति और मानसिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए इनको उम्रकैद की सजा दिया जाना ठीक है. कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा कि बच्ची से दुष्कर्म और हत्या की वारदात की तारीख से 60 साल तक दोनों दोषियों को जेल से रिहाई नहीं दी जा सकेगी.
अभियोजन पक्ष ने फागुन मंडी और रवींद्र राउथ पर आरोप लगाया था कि दोनों ने काली पूजा पंडाल के बाहर खेल रही पांच साल की बच्ची को अगवा कर उससे दुष्कर्म किया. दरिंदगी की सीमा लांघते हुए बच्ची के प्राइवेट पार्ट में बांस घुसाया और फिर गला दबाकर हत्या कर दी. दोनों ने शव को भी छिपाया था. ताकि अपराध का पता न चल सके. कलकत्ता हाइकोर्ट ने दोनों की फांसी की सजा उम्रकैद में बदलते हुए ये भी कहा है कि इनको रिहा किये जाने से समाज के लिए खतरा पैदा होने से इनकार नहीं किया जा सकता. राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि बच्ची से दुष्कर्म और हत्या के दोनों दोषियों की सामाजिक और आर्थिक हालत खराब है. साथ ही राज्य सरकार ने ये भी कहा कि वे बिल्कुल भी शिक्षित नहीं हैं.
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