नाराजगी. कामारपुकुर में मुख्यमंत्री ने बांग्ला भाषा के अपमान पर जतायी आपत्ति दौरे के दौरान मुख्यमंत्री के साथ सांसद दीपक अधिकारी (देव), सिंचाई मंत्री मानस भुइयां सहित कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे कोलकाता/हुगली/खड़गपुर. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों हुगली के कामारपुकुर और पश्चिम मेदिनीपुर के घाटाल का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने बाढ़ राहत शिविरों में लोगों को भोजन परोसा और सामुदायिक रसोईघरों का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि घाटाल परियोजना के लिए राज्य सरकार ने 500 करोड़ रुपये आवंटित किये हैं और यह कार्य मार्च 2027 तक पूरा कर लिया जायेगा. दौरे के दौरान मुख्यमंत्री के साथ सांसद दीपक अधिकारी (देव), सिंचाई मंत्री मानस भुइयां, जिलाधिकारी खुर्शीद अली कादरी सहित कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे. ममता बनर्जी ने सोमवार को दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) पर भी निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि इस वर्ष जलाशयों से 2023 की तुलना में 30 गुना अधिक पानी छोड़ा गया, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गये. किसी को भी बांग्ला भाषा से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए: कामारपुकुर में सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने बांग्ला भाषा के सम्मान की बात की. उन्होंने चेतावनी दी कि किसी को भी बांग्ला भाषा के साथ खिलवाड़ या अपमान करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने रवींद्रनाथ ठाकुर, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और राजा राममोहन राय का उल्लेख करते हुए बांग्ला की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को रेखांकित किया. मुख्यमंत्री ने कहा, “क्या बांग्ला के बिना भारत हो सकता है? उन्होंने रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए सभी धर्मों और भाषाओं के प्रति सम्मान की बात कही. इस मौके पर उन्होंने रामकृष्ण मठ एवं मिशन के अतिथि गृह की आधारशिला रखी और जयरामबती-कामारपुकुर विकास बोर्ड के गठन की घोषणा की. बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी लोकोत्तरानंद होंगे और इसे 10 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. इस मौके पर राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत, डीजीपी राजीव कुमार, हुगली की जिलाधिकारी मुक्ता आर्य, हुगली ग्रामीण पुलिस अधीक्षक कमनाशीष सेन, मंत्री बेचाराम मन्ना, सांसद मिताली बाग, जिला परिषद सभाधिपति रंजन धारा आदि मौजूद थे. एसआइआर को लेकर केंद्र पर हमला घाटाल में मीडिया से बातचीत करते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि बिहार में शुरू किया गया विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) भाजपा-नीत केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत का परिणाम है. उन्होंने आरोप लगाया कि इसके जरिए बांग्लाभाषी भारतीयों को बांग्लादेशी बताकर जबरन निर्वासित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पश्चिम बंगाल में इस योजना को किसी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि एनआरसी जैसी प्रक्रिया को एसआइआर के नाम पर आगे बढ़ाने की साजिश की जा रही है और दावा किया कि उन्हें इसके विरोध के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत गिरफ्तार करने की मांग भी की जा रही है.
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