कोलकाता. राज्य के सबसे बड़े व एकमात्र सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एक मरीज के कटे हुए हाथ को दोबारा जोड़ दिया गया. 40 वर्षीय व्यक्ति जानता था कि कटे हुए हाथ को पुनः जोड़ा जा सकता है. इसलिए वह अपने कटे हुए हाथ को एक बैग में भर कर किसी की मदद से बाइक पर सवार होकर स्थानीय अस्पताल पहुंचा. इसके बाद बाद उसे वहां से एसएकेएम (पीजी) रेफर किया गया. वह करीब डेढ़ महीने तक अस्पताल में भर्ती रहा. इसक दौरान उसकी तीन सर्जरी हुई. मंगलवार को अस्पताल से उसे छुट्टी दे दी गयी. बता दें कि कौशिक घोष नामक व्यक्ति बर्दवान का रहने वाला है. वह पेशे से मेकेनिक है. 21 मार्च की सुबह वह अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित एक तेल फैक्टरी में मशीनरी (तेल प्रेस) की मरम्मत करने गया था. काम करते समय कौशिक के दाहिने हाथ का स्टील का कड़ा अचानक उसकी कलाई के पास आ गिरा और वह मशीन के नट-बोल्ट में फंस गया, जिससे हाथ मशीन के अंदर चला गया. परिणामस्वरूप, दाहिना हाथ कोहनी के ठीक नीचे से पूरी तरह से कटकर जमीन पर गिर गया. इस घटना के बाद उसने खुद कटे हुए हाथ को एक थैले में डाला, कोहनी के निचले हिस्से को कपड़े से लपेटा और फैक्टरी मालिक की बाइक पर सवार होकर स्थानीय ब्लॉक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा. उस स्वास्थ्य केंद्र से कौशिक को प्राथमिक चिकित्सा के बाद तुरंत कोलकाता के एक अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया. कौशिक के भाई सौभिक ने बताया कि बर्दवान से वे पहले कलकत्ता मेडिकल कॉलेज गये और वहां से शाम पांच बजे एसएसकेएम के ट्रॉमा केयर पहुंचे. उन्होंने कहा कि हम केवल इतना जानते थे कि कटे हुए हाथों को फिर से जोड़ा जा सकता है. लेकिन, वे यह नहीं जानते थे कि कटे हुए हाथ को कैसे सुरक्षित रखा जाये. इसलिए सर्जरी में कुछ जोखिम था. एसएसकेएम के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर कटे हुए अंग को घटना के 6-8 घंटे के भीतर दोबारा जोड़ना पड़ता है. लेकिन कौशिक लगभग छह घंटे बाद अस्पताल पहुंचे. हाथ का कटा हुआ हिस्सा भी ठीक से संरक्षित नहीं किया गया था. इसलिए, रोगी के परिवार को पुनर्स्थापन से पहले जोखिमों के बारे में सूचित किया गया था. कौशिक के कटे हाथ को जोड़ने की सर्जरी 21 मार्च की रात 8.30 बजे ट्रॉमा केयर में शुरू हुई. प्लास्टिक सर्जरी विभाग के सात चिकित्सकों की एक टीम ने इस सर्जरी को किया. सर्जरी करीब नौ घंटे तक चली. इस दौरान हाथ की धमनियां, शिराएं, तंत्रिकाएं और हड्डियों को जोड़ा गया. आइटीयू में सात दिन के इलाज के बाद भी गंभीर संक्रमण के कारण हाथ की हालत अचानक बिगड़ने लगी. हालांकि, एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया था. संक्रमण कम होने के बाद कौशिक को प्लास्टिक सर्जरी विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया. कोहनी के नीचे जिस जगह से हाथ काटा गया था, वहां ऊतक और मांसपेशियों की काफी मात्रा नष्ट हो गयी थी. 14 अप्रैल को लगभग छह घंटे की सर्जरी में बाएं पैर की जांघ से ऊतक, मांस और त्वचा को वहां प्रत्यारोपित किया गया. आने वाले दिनों में उन्हें कई छोटी-मोटी सर्जरी की जरूरत पड़ेगी. वहीं हाथ में अब रक्त संचार शुरू हो गया है.
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