कोलकाता.
एक बार फिर, तृणमूल कांग्रेस की ओर से भाजपा शासित राज्य में बांग्ला भाषी एक परिवार को उत्पीड़ित किये जाने का आरोप लगाया गया है. सांसद व तृणमूल नेता समीरुल इस्लाम ने आरोप लगाया है कि जिन लोगों को उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है, वे मतुआ समुदाय से जुड़े हैं. उनके पास वैध पहचान पत्र के अलावा केंद्रीय मंत्री और मतुआ संघपति शांतनु ठाकुर के हस्ताक्षर वाले कार्ड होने के बावजूद, उन्हें पुणे में पुलिस द्वारा कथित तौर पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. इस संदर्भ में, केंद्रीय मंत्री ठाकुर ने भी तृणमूल पर उंगली उठायी है. उनका आरोप है कि तृणमूल मतुआ समुदाय से जुड़े लोगों को नागरिकता देने के लिए केंद्र के कानून का पालन नहीं कर रही है. मंगलवार को, सांसद इस्लाम ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया कि मतुआ समुदाय से जुड़े युवक आरुष अधिकारी और उनके परिवार को भाजपा शासित महाराष्ट्र के पुणे जाने पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. यह चौंकाने वाला है कि केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर स्वयं मतुआ हैं. मतुआ परिवार के पास आधार कार्ड के साथ-साथ अखिल भारतीय मतुआ महासंघ (एआइएमएम) द्वारा जारी एक पहचान पत्र भी था, जिस पर स्वयं केंद्रीय मंत्री के हस्ताक्षर थे.इधर, राज्यसभा सदस, तृणमूल व मतुआ समुदाय की नेता ममता बाला ठाकुर ने इस पर अपनी राय रखी है. उन्होंने कहा : केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर द्वारा हस्ताक्षरित मतुआ महासंघ कार्ड होने के बावजूद, महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने हाबरा विधानसभा क्षेत्र के मतुआ समुदाय के निवासी आरूष और उसके परिवार को बांग्ला बोलने के कारण बांग्लादेशी करार दिया है. उन्होंने केंद्रीय मंत्री ठाकुर, केंद्र सरकार और भाजपा नेतृत्व पर मतुआ समुदाय के साथ राजनीति करने का भी आरोप लगाया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है