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160 वर्ष की हो गयी नेताजी एक्सप्रेस

14 जुलाई को 12311/12312 नेताजी एक्सप्रेस ने अपनी सेवा के 160 वर्ष पूरे कर लिये. देश की आजादी के संग्राम के दौरान ऐतिहासिक विरासत ट्रेन के साथ कई गौरवशाली घटनाओं की गवाह रही है.

श्रीकांत शर्मा, कोलकाता.

14 जुलाई को 12311/12312 नेताजी एक्सप्रेस ने अपनी सेवा के 160 वर्ष पूरे कर लिये. देश की आजादी के संग्राम के दौरान ऐतिहासिक विरासत ट्रेन के साथ कई गौरवशाली घटनाओं की गवाह रही है. स्वतंत्रता संग्राम के दौर में यह ट्रेन नेताजी के साथ कई स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों की यह हमसफर रही. अंग्रेजी फौज और ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ क्रांतिकारियों ने कई बार कोलकाता से दिल्ली के बीच इस ट्रेन में सफर किया था. ऐसे में नेताजी को श्रद्धांजलि देते हुए भारतीय रेलवे ने 2021 में नेताजी की जन्म दिवस 23 जनवरी को 12311/12312 हावड़ा-कालका मेल का नाम बदलकर नेताजी एक्सप्रेस कर दिया. तब से यह ट्रेन नेताजी एक्सप्रेस के नाम से जानी जाती है. हावड़ा से रवाना होकर दिल्ली के कालकाजी तक जानेवाली इस ट्रेन के इस ऐतिहासिक वर्ष को मनाने के लिए सोमवार को हावड़ा स्टेशन पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. हावड़ा के मंडल रेल प्रबंधक संजीव कुमार के नेतृत्व में इस विशेष समारोह आयोजित किया गया. इस अवसर पर खूबसूरती से सजाये गये 22 कोचों के नये रेक के साथ पेश किया गया. मंडल के सॉटिंग यार्ड कोचिंग कॉम्प्लेक्स में ट्रेन को नये कलेवर में सजाया गया है. इस अवसर पर एक युवा यात्रा ने केक काटा. कार्यक्रम में वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक-हावड़ा राहुल रंजन, वरिष्ठ मंडल यांत्रिक इंजीनियर (वरिष्ठ डीएमई सी एंड डब्ल्यू, ट्रेन सेट) अभिनव बंसल और कोचिंग डिपो अधिकारी/सॉर्टिंग यार्ड/हावड़ा पृथ्वीश हाल्दार के साथ अन्य रेलवे अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.

गौरवशाली ऐतिहासिक विरासत के प्रति सम्मान व्यक्ति करते हुए नेताजी एक्सप्रेस की एक बोगी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी और उनसे जुड़े प्रेरणादायक प्रसंगों को उकेरा गया है. रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि कोच संख्या एच1 ( एलडब्ल्यूएफएसी ) को नेताजी के ऐतिहासिक चित्रों और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उल्लेखनीय घटनाक्रमों को उकेर कर रेलवे उन्हें अपना श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रयास किया है. बोगी के दोनों प्रवेश द्वारों की दीवारों पर नेताजी की जीवनी और गोमोह से दिल्ली तक कालका मेल में उनकी महत्वपूर्ण यात्रा के चित्र उकेरे गये हैं. कोच के गलियारे को हावड़ा से कालका तक के रेल मार्ग का मानचित्र डिजाइन किया गया था, इसमें प्रमुख स्टेशनों को प्रदर्शित किया गया है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की विरासत का सम्मान करने के लिए.

आधुनिक भारत की सबसे पुरानी निरंतर चलने वाली इस ट्रेन ने अपने 160 वर्षों की यात्रा में कई बदलाव देखे हैं. पहले आइसीएफ कोचों के साथ रवाना होनेवाली यह ट्रेन अब 22 नवनिर्मित एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुश) जैसे अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कोच के साथ रवाना होगी. ये कोच पहले की अपेक्षा ज्यादा चौड़े, आरामदायक और काफी सुरक्षित हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि एलएचबी कोच भारतीय रेलवे में अत्याधुनिक यात्री सुविधाओं से लैस ट्रेन सफर के नये युग की शुरुआत है.

आधुनिक एलएचबी डिब्बों में यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई सुधार किये गये हैं. एयर स्प्रिंग्स, बेहतर आंतरिक सुविधाओं और व्हील स्लाइड प्रोटेक्शन, अग्नि पहचान प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक प्रेशराइज्ड फ्लशिंग यूनिट जैसी उन्नत सुविधाओं से सुसज्जित ये कोच सभी के लिए एक सुरक्षित और अधिक आरामदायक यात्रा प्रदान करते हैं.

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