संवाददाता, कोलकाता
कलकत्ता हाइकोर्ट ने कहा कि किसी कर्मचारी को लंबी और निरंतर सेवा के बाद मिलने वाली पेंशन और अन्य सेवानिवृत्ति लाभों में एक दिन की भी देरी नहीं की जा सकती.न्यायमूर्ति गौरांग कांत ने 23 मई के अपने आदेश में कहा कि ऐसे मामलों में देरी से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कठिनाई होती है, जो जीविका के लिए इस बकाया राशि पर निर्भर होते हैं.
हाइकोर्ट ने पेंशन योजना को कर्मचारियों का कानूनी हक करार दिया. हाइकोर्ट ने हुगली जिले के चुंचुड़ा नगरपालिका को 148 ग्रुप डी कर्मचारियों की पेंशन में देरी के लिए फटकार लगायी. न्यायाधीश गौरांग कांत ने तकनीकी कमियों को बहाना मानने से इनकार किया. नगरपालिका को एक हफ्ते में दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया गया. क्या कहा अदालत ने: कोर्ट ने कहा कि पेंशन कर्मचारियों का हक है, दान नहीं. जस्टिस कांत ने देरी को अस्वीकार्य बताया. उन्होंने नगरपालिका को एक हफ्ते में दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया. निदेशालय को दो हफ्ते में कर्मचारियों को पुनः नियुक्त करने को कहा. देरी से रिटायर्ड कर्मचारियों की जीविका प्रभावित हुई. कोर्ट ने कहा कि तकनीकी या प्रशासनिक गलतियां ऐसी देरी का बहाना नहीं बन सकतीं. यह फैसला कर्मचारियों के हक को सुनिश्चित करता है. अन्य नगरपालिकाओं को भी प्रक्रिया सुधारने की चेतावनी दी गयी. हाइकोर्ट ने स्पष्ट किया कि पेंशन में देरी न्याय और सुशासन के खिलाफ है.चुंचुड़ा नगरपालिका से जुड़ा है मामला
चुंचुड़ा नगरपालिका में ग्रुप डी पद से सेवानिवृत कर्मचारियों ने पेंशन नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए हाइकोर्ट का रुख किया था. याचिकाकर्ता सहित 148 कर्मचारी 1991-92 में भर्ती हुए थे. लेकिन रिटायरमेंट के बाद नगरपालिका ने इन कर्मचारियों को पेंशन देने से इनकार कर दिया. 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार ने ई-पेंशन पोर्टल शुरू किया. यह अर्बन लोकल बॉडीज ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट सिस्टम से डेटा लेता है. लेकिन रिटायर्ड कर्मचारियों का डेटा पोर्टल पर नहीं था. निदेशालय ने बताया कि नगरपालिका ने ग्रुप डी कर्मचारियों की जानकारी नहीं दी. हाइकोर्ट ने इसे गंभीर लापरवाही माना और नगरपालिका को जम कर फटकार लगायी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है