क्षतिग्रस्त हो चुके घरों में ही रह रहे हैं लोग, जगह नहीं छोड़ने की जिद पर हैं अड़े संवाददाता, हावड़ा. बेलगछिया सेंट्रल डंपिंग ग्राउंड (भगाड़) में भू-धंसान हुए एक महीने का समय बीत गया, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है. हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है. भू- धंसान के बाद यहां की सड़कें और क्षतिग्रस्त हो चुके घरों की तस्वीर नहीं बदली है. किसी भी हाल में यहां से नहीं जाने की जिद पर अड़े लोग क्षतिग्रस्त घरों में रहकर अपना जीवन गुजार रहे हैं. प्रशासन की ओर से यहां के लोगों को रहने के लिए कंटेनर की व्यवस्था की गयी है, लेकिन वे कंटेनर में रहने के लिए तैयार नहीं हैं. पीड़ित परिवार के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों और एनजीओ की ओर से भेजी जा रही राहत सामग्री भी मिलना अब इन्हें बंद हो गया है. क्या कहा लोगों ने : बेलगछिया भगाड़ में रह रहीं रीना पासवान ने कहा कि इस गर्मी में प्रशासन की ओर से उनके रहने के लिए कंटेनर की व्यवस्था की है. इस कंटेनर में इंसान तो दूर की बात जानवर भी नहीं रहेगा. भू-धंसान के बाद कई नेता और मंत्री आये और स्थायी तौर पर पुनर्वास की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं हुआ है. सैकड़ों लोग अभी भी स्थानीय एक स्कूल और क्लब में रह रहे हैं. भू- धंसान के बाद कई क्षतिग्रस्त घरों में बिजली का कनेक्शन आज भी बहाल नहीं हुआ है. लोग उसी हालत में रहने के लिए मजबूर हैं. घटना के बाद कुछ दिनों तक विभिन्न राजनीतिक दलों और स्वयंसेवी संगठनों की ओर से भोजन और पेयजल उपलब्ध कराया गया, लेकिन अब सारी मदद बंद हो गयी है. वहीं, बेलगछिया भगाड़ में कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगाने के बाद यहां रह रहे कुछ लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ा है. ये लोग कचरे से प्लास्टिक, लोहा, तांबा या अन्य चीजें निकालकर दुकानों में बेचते थे, जो कि अब बंद हो गया है.
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