एगरा विस्फोट मामला कोलकाता. एगरा विस्फोट मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है. मंगलवार को न्यायमूर्ति सुजय पाल और न्यायमूर्ति स्मिता दास की खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यदि अगले सात दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की जाती है, तो राज्य के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा. पिछले साल 16 मई को पूर्व मेदिनीपुर के एगरा में एक पटाखा कारखाने में हुए भयानक विस्फोट में 12 लोगों की जान चली गयी थी. कई लोग घायल हो गये थे. राज्य सीआइडी ने घटना के बाद से जांच शुरू कर दी है, लेकिन वादी का आरोप है कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी विस्फोटक अधिनियम में कोई धारा नहीं जोड़ी गयी है और प्राथमिक दस्तावेज भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को नहीं सौंपे गये हैं. ऐसे में कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर घटना की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को सौंपने की मांग की गयी. सुनवाई के दौरान, राज्य ने कुछ और समय देने का अनुरोध किया. हालांकि, अदालत इससे संतुष्ट नहीं है. एनआइए के वकील ने अदालत को बताया कि अगर हाइकोर्ट या केंद्र उन्हें जांच का ज़िम्मा सौंपता है, तो वह जांच के लिए तैयार हैं. इस बीच, अदालत ने इस मामले में राज्य की भूमिका पर असंतोष जताया. इस संदर्भ में खंडपीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर राज्य सरकार अगले सात दिनों के भीतर विस्फोट के संबंध में रिपोर्ट पेश नहीं करती है, तो मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा. इस मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी.
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