आइआइटी खड़गपुर के अधिवक्ता ने बताया, हालात को समझने के लिए 10 सदस्यीय समिति का हुआ है गठन
चार सप्ताह बाद फिर होगी मामले की सुनवाई
संवाददाता, कोलकाता.
छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आइआइटी खड़गपुर के अधिकारियों से सवाल किया कि छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं, आइआइटी खड़गपुर में क्या समस्या है?
न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने यह भी जानना चाहा कि क्या अधिकारियों ने इस मुद्दे पर विचार किया है या नहीं. हाल ही में आइआइटी खड़गपुर में रीतम मंडल नाम के एक छात्र का शव फंदे से लटका हुआ मिला था. उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित एक विश्वविद्यालय के छात्रावास में भी एक छात्र का शव मिला था. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह इन दोनों घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लिया था. सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो दो न्यायाधीशों की पीठ ने पूछा, “आइआइटी खड़गपुर में समस्या क्या है? छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? क्या आपने इस बारे में सोचा है? तब आइआइटी खड़गपुर के वकील ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए शैक्षणिक संस्थान में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है. उन्होंने आगे कहा: यहां एक परामर्श केंद्र भी है. परामर्श केंद्र इस बात पर नजर रख रहा है कि किसी छात्र का मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ तो नहीं रहा है. छात्रों को एक फोन नंबर भी दिया गया है, वे कभी भी उस नंबर पर कॉल कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने छात्रों की अप्राकृतिक मौतों के संबंध में दोनों शैक्षणिक संस्थानों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. कोर्ट ने यह भी जानकारी मांगी कि क्या दोनों घटनाओं में एफआइआर दर्ज की गयी थी और क्या अधिकारियों ने पुलिस को तुरंत सूचित किया था. सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि दोनों मामलों में एफआइआर दर्ज कर ली गयी है. कानूनी समाचार वेबसाइट ‘बार एंड बेंच’ के अनुसार, कोर्ट अभी इस स्वतः संज्ञान मामले पर कोई और टिप्पणी नहीं करना चाहता. आइआइटी खड़गपुर की घटना में अधिकारियों ने खबर मिलने के 30 मिनट के भीतर ही पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करा दी थी. इस संबंध में जांच भी चल रही है. इस मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होने की संभावना है.
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