कोलकाता.
कलकत्ता हाइकोर्ट की खंडपीठ ने 2019 में उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में सीबीआइ जांच के आदेश को बरकरार रखा है. यह आदेश अदालत की एकल पीठ द्वारा दिया गया था, जिसे तृणमूल कांग्रेस से निलंबित नेता शेख शाहजहां ने चुनौती दी थी. शेख शाहजहां इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक है. वह जनवरी 2024 में अपने आवास के बाहर इडी और सीएपीएफ कर्मियों पर हमले के मामले में भी प्रमुख आरोपी है. इसके अलावा उस पर करोड़ों रुपये के राशन घोटाले, महिलाओं के यौन उत्पीड़न और जमीन कब्जाने जैसे गंभीर आरोप हैं. वह इस समय न्यायिक हिरासत में है. 30 जून को न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता की एकल पीठ ने इस हत्याकांड की सीबीआइ जांच के आदेश दिये थे. शाहजहां ने इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन सोमवार को न्यायमूर्ति देबांग्शु बसाक और न्यायमूर्ति प्रसेनजीत विश्वास की खंडपीठ ने उनकी याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की हालिया टिप्पणी के अनुसार, याचिका स्वीकार्य नहीं है.क्या है मामला
2019 के लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद संदेशखाली के भंगीपाड़ा में राजनीतिक हिंसा भड़क उठी थी. आठ जून को एक ही परिवार के दो भाजपा कार्यकर्ताओं प्रदीप मंडल और सुकांत मंडल की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. परिवार का एक सदस्य देवदास मंडल अब भी लापता है. इस दौरान तृणमूल कांग्रेस का कार्यकर्ता कयूम अली मोल्ला भी मारा गया था. पीड़ित परिवार ने नैजात थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी थी, जिसमें शेख शाहजहां का नाम भी था. शुरुआती जांच में पुलिस ने शाहजहां का नाम आरोपपत्र में शामिल किया, लेकिन बाद में जब जांच सीआइडी को सौंपी गयी, तो उसका नाम हटा दिया गया. इस पर एक मृतक की पत्नी पद्मा मंडल ने सीआइडी के आरोपपत्र को चुनौती देते हुए हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाइकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआइ को जांच सौंपने का निर्देश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि सीबीआइ एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन कर जांच शुरू करे, जिसकी अगुवाई संयुक्त निदेशक स्तर का अधिकारी करेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है