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एसएससी की नियुक्ति नियमों को चुनौती देनेवाली अर्जी पर फैसला सुरक्षित

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी थी. एसएससी की ओर से जारी नयी विज्ञप्ति के नियमों को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गयी थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई पूरी हो गयी. हालांकि, सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

कोलकाता.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) की ओर से शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की गयी थी. एसएससी की ओर से जारी नयी विज्ञप्ति के नियमों को चुनौती देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गयी थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई पूरी हो गयी. हालांकि, सुनवाई पूरी होने के बाद न्यायमूर्ति सौमेन सेन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.

सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में करीब 180 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गयी हैं. हालांकि, महाधिवक्ता ने कहा कि नौकरी के लिए आवेदन करने वाले यह तय नहीं कर सकते कि किस नियम के अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया आयोजित की जायेगी. उन्होंने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि 2016 के नियमों के अनुसार नियुक्ति की जायेगी. महाधिवक्ता ने कहा कि जो भी निर्णय लिया जाता है, वह छात्रों के कल्याण को ध्यान में रखकर लिया जाता है. परिणामस्वरूप, यदि आयोग 2025 के नियमों को छात्रों की भलाई के लिए उपयुक्त मानता है, तो कोई भी अभ्यर्थी इस पर सवाल नहीं उठा सकता है. उन्होंने कहा कि राज्य के पास रिक्तियों की संख्या निर्धारित करने की शक्ति है. इसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया या घटाया जा सकता है. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश कहता है कि रिक्तियों को भरा जाना चाहिए, लेकिन यह कहीं नहीं कहा गया है कि नयी रिक्तियां नहीं बनायी जा सकतीं.

सुनवाई के दौरान स्कूल सेवा आयोग के वकील कल्याण बनर्जी ने कहा कि कोई भी नियमों को चुनौती नहीं दे सकता है. उन्होंने कहा कि असफल उम्मीदवार योग्य और अयोग्यता के बारे में सवाल कैसे उठा सकते हैं? उन्होंने कहा कि इन सभी मामलों के कारण कई वर्षों से कोई नयी नियुक्तियां नहीं हो रही हैं. नयी पीढ़ी को भी नौकरी का अवसर दिया जाना चाहिए. हालांकि, वादी पक्ष के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य का दावा है कि दरअसल अयोग्य को दूसरा मौका देने के लिए एक नया नियम बनाया गया है और पिछले शिक्षण अनुभव के लिए 10 अंक देने की योजना बनायी गयी है.

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