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बांग्लाभाषियों का उत्पीड़न, लोकतंत्र पर सुनियोजित हमले के समान : अभिषेक

सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि “भाजपा शासित राज्यों में, बांग्ला भाषी लोगों को उत्पीड़ित करना. वैध परिचय पत्र व दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें ‘बांग्लादेशी’ कहकर हिरासत में लिये जाने की घटनाएं हमारे देश के लोकतंत्र पर एक सुनियोजित हमले के अलावा और कुछ नहीं है.

कोलकाता.

भाजपा शासित प्रदेशों में बांग्ला भाषियों व बंगाल मूल के लोगों को उत्पीड़ित किये जाने के आरोप में तृणमूल कांग्रेस की ओर से महानगर ही नहीं, बल्कि पूरे राज्यभर में विरोध रैलियां निकाली गयीं. महानगर में निकाली गयी रैली का नेतृत्व में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किया. हालांकि इस दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी. मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, डॉ शशि पांजा समेत तृणमूल के अन्य नेतागण भी मौजूद रहे. रैली के दौरान सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि “भाजपा शासित राज्यों में, बांग्ला भाषी लोगों को उत्पीड़ित करना. वैध परिचय पत्र व दस्तावेज होने के बावजूद उन्हें ‘बांग्लादेशी’ कहकर हिरासत में लिये जाने की घटनाएं हमारे देश के लोकतंत्र पर एक सुनियोजित हमले के अलावा और कुछ नहीं है. बंगाल की पावन भूमि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर, कवि नजरुल इस्लाम, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, स्वामी विवेकानंद की है. यह देश के स्वतंत्रता संग्राम में शहीद हुए वीर सेनानियों की भूमि है. भाजपा को याद रखना चाहिए कि बांग्ला भाषियों का अपमान बंगाल का अपमान है. हमारी पार्टी बांग्ला भाषियों के उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी. भाजपा शासित राज्यों में लोकतंत्र तहस-नहस हो रहा है. मुझे विश्वास है कि बंगाल की आम जनता अगले चुनावों में भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेंकेगी.” रैली में शामिल हुईं मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘अगर कोई किसी बंगाली को बांग्लादेशी कहता है, तो हम चुप नहीं बैठेंगे. यह पश्चिम बंगाल के सम्मान, भाषा और पहचान की रक्षा की लड़ाई है. बंगाल अपना सिर कभी नहीं झुकायेगा. यह लड़ाई सिर्फ प्रवासी मजदूरों की नहीं है, यह हमारे अपने देश में सम्मान के साथ जीने के अधिकार की लड़ाई है.” तृणमूल अमूमन 21 जुलाई को हर साल आयोजित की जाने वाली अपनी ‘शहीद दिवस’ रैली से पहले बड़े कार्यक्रमों से दूरी बनाये रखती है, लेकिन ओडिशा में प्रवासी कामगारों की हिरासत, दिल्ली में अतिक्रमण रोधी अभियान और असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा कूचबिहार के एक किसान को नोटिस जारी करने जैसी हालिया घटनाओं ने पार्टी को अपना रुख बदलने पर मजबूर कर दिया. इस दिन रैली में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 21 जुलाई के पहले बुधवार को हुई रैली को लेकर कहा कि “चरम स्थितियों के लिए कठोर जवाबी कदम उठाने पड़ते हैं.” इन मुद्दों को लेकर किये गये प्रदर्शन यह भी दिखाते हैं कि अगले साल के मध्य में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए तृणमूल का चुनावी अभियान किस दिशा में जा रहा है.

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