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जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्रों में नहीं होंगे मनमाने बदलाव

राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने व्यक्तिगत इच्छा के अनुसार जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों में ‘मनमाने बदलाव’ करने पर रोक लगाने के लिए एक सख्त निर्देश जारी किया है.

फैसला. राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया दिशा-निर्देश

अब किसी भी व्यक्ति को बिना उचित दस्तावेज और आधिकारिक अनुमति के प्रमाणपत्रों पर नाम या तारीख जैसी व्यक्तिगत जानकारी में बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी

परिवर्तन का अनुरोध करने के लिए आवेदकों को आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या पैन कार्ड समेत पहचान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा

संवाददाता, कोलकाताराज्य के स्वास्थ्य विभाग ने व्यक्तिगत इच्छा के अनुसार जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्रों में ‘मनमाने बदलाव’ करने पर रोक लगाने के लिए एक सख्त निर्देश जारी किया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा हाल में जारी नये दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब किसी भी व्यक्ति को बिना उचित दस्तावेज और आधिकारिक अनुमति के इन प्रमाणपत्रों पर नाम या तारीख जैसी व्यक्तिगत जानकारी में बदलाव करने की अनुमति नहीं होगी. दिशा-निर्देश के अनुसार, ऐसा कोई भी बदलाव केवल रजिस्ट्रार द्वारा ही किया जा सकेगा जो इस मामले में एकमात्र प्राधिकारी होगा. स्थानीय रजिस्ट्रार का निर्णय अंतिम माना जायेगा. दिशा-निर्देश में कहा गया है : अगर कोई व्यक्ति जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र में नाम की वर्तनी या किसी अन्य विवरण में सुधार या परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे इसके लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे. अगर रजिस्ट्रार जमा किये गये दस्तावेजों की समीक्षा के बाद संतुष्ट हो जाता है, तो उसी स्थिति में वांछित परिवर्तनों को मंजूरी दी जायेगी. नये दिशा-निर्देशों के अनुसार, केवल मामूली सुधार, विशेष रूप से मुद्रण त्रुटियां ही सुधारी जा सकेंगी. इसमें नामों में वर्तनी की गलतियां, जन्मतिथि में छोटी-मोटी अशुद्धियां या जन्म स्थान में छोटी-मोटी विसंगतियां शामिल हैं. लेकिन सभी सुधारों के लिए वैध दस्तावेज होने चाहिए और किसी भी बदलाव को मंजूरी देने का अधिकार पूरी तरह रजिस्ट्रार के पास है. वहीं, किसी भी स्वीकार्य परिवर्तन का अनुरोध करने के लिए, आवेदकों को आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या पैन कार्ड समेत पहचान का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा. उपनाम परिवर्तन से संबंधित मामलों में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट से एक हलफनामा, स्कूल प्रवेश प्रमाण पत्र या समकक्ष दस्तावेज़ आवश्यक है. इसमें कहा गया है कि इस कदम से राज्य भर में जन्म और मृत्यु रिकॉर्ड प्रबंधन का मानकीकरण होने और व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग या गलत प्रस्तुति की गुंजाइश खत्म होने की उम्मीद है. तलाक या पुनर्विवाह के मामलों में बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र पर एक बार दर्ज हो जाने के बाद पिता का नाम हटाया या बदला नहीं जा सकता.

तलाक होने की स्थिति में भी बच्चे के जन्म प्रमाणपत्र पर पिता का नाम ही रहेगा

अगर बच्चा होने के बाद किसी दंपती का तलाक हो जाता है, तो उस स्थिति में बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र से पिता का नाम किसी भी तरह से नहीं हटाया जा सकेगा. अगर मां दोबारा शादी कर भी ले, तो भी बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र में पिता के तौर पर कोई नया नाम नहीं जोड़ा जा सकेगा. स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि जन्म प्रमाण पत्र में एक बार पिता के रूप में नाम दर्ज हो जाने के बाद उसे किसी भी तरह से बदला नहीं जा सकेगा. माना जा रहा है कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बच्चे के स्कूल में दाखिले में कोई दिक्कत न आये.जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 के अनुसार, जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र में जन्मतिथि, पिता का नाम, नाम में पूर्ण परिवर्तन या ऐसी कोई भी चीज नहीं बदली जा सकती जिससे कानूनी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. सभी रजिस्ट्रारों को निर्देश दिया गया है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान में बदलाव कराना चाहता है तो उसका आवेदन स्वीकार न करें.

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