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1.10 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में दिल्ली से गिरफ्तार किये गये तीन नाइजीरियाई

महानगर के एक निवासी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के नाम पर 1.10 करोड़ रुपये ठगने के आरोप में लालबाजार के एंटी साइबर क्राइम थाने की टीम ने दिल्ली से तीन नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया है.

संवाददाता, कोलकातामहानगर के एक निवासी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के नाम पर 1.10 करोड़ रुपये ठगने के आरोप में लालबाजार के एंटी साइबर क्राइम थाने की टीम ने दिल्ली से तीन नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया है.

पकड़े गये आरोपियों में पीटर मर्सी ओलूमी उर्फ सोफिया (23), किमेकु कैलिंग्स (39) और अलेक्जेंडर सक्सेस डिवाइन (23) शामिल हैं. इनपर कोलकाता के एक नागरिक को अपनी बातों के जाल में फंसाकर उससे कुल एक करोड़ 10 लाख 41 हजार 250 रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगा है. इनके कब्जे से मोबाइल फोन, लैपटॉप एवं अन्य दस्तावेज जब्त किये गये हैं. कैसे अपने जाल में फंसाकर करते थे ठगी : पुलिस सूत्र बताते हैं कि जालसाजों ने एक फर्जी ई-मेल आईडी बनाकर कोलकाता के निवासी से संपर्क किया था. उन्होंने एक ब्रिटिश नंबर से व्हाट्सऐप पर भी पीड़ित से संपर्क किया था. उन्होंने खुद को डब्लूएचओ के साथ-साथ एक निजी दवा कंपनी का अधिकारी बताया था. पीड़ित का विश्वास जीतने के लिए आरोपियों ने कई फर्जी दस्तावेज भी दिखाये. आरोप है कि जालसाजों ने इस तरह का प्रलोभन देकर उम्मीद से ज्यादा दवा सप्लाई का टेंडर दिलवा देने के नाम पर उससे 1 करोड़ 10 लाख 41 हजार 250 रुपये ठग लिये थे.

12 स्मार्टफोन, तीन कीपैड फोन, एक राउटर व एक लैपटॉप किये गये बरामद

इसी सूचना के आधार पर कोलकाता पुलिस की एक टीम ने दिल्ली में छापेमारी की. इस कार्रवाई में एक महिला समेत तीन नाइजीरियाई नागरिकों को गिरफ्तार किया गया. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के पते के अलावा, इनके नाम पर नाइजीरिया में भी एक स्थाई ठिकाना है. गिरफ्तार लोगों के पास से 12 स्मार्टफोन, तीन कीपैड फोन, एक राउटर और एक लैपटॉप जब्त किया गया है. पुलिस को शक है कि लैपटॉप का इस्तेमाल विश्व स्वास्थ्य संगठन और एक दवा कंपनी के लोगो और मुहरों की जालसाजी करने के लिए किया गया था. गिरफ्तार आरोपियों के साथ और कौन-कौन शामिल है, पुलिस इस बारे में पूछताछ कर रही है.

विश्वास हासिल करने के लिए भेजे नकली कागजात

पीड़ित ने पुलिस को बताया कि आरोपियों ने उसका विश्वास हासिल करने के लिए टेंडर पास होने से जुड़े नकली कागजात भी उसे भेजे. रुपये देने के बाद उससे सभी तरह का संपर्क बंद कर दिया गया. इधर, घटना की जांच के दौरान साइबर क्राइम थाने के अधिकारियों को कुछ ब्रिटिश व्हाट्सऐप नंबर मिले. जिस मोबाइल से उन व्हाट्सऐप नंबरों का इस्तेमाल किया जा रहा था, उसका आईपी एड्रेस नाइजीरियाई था. बाद में, जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह भी पता चला कि लगभग उसी समय दिल्ली में भी व्हाट्सऐप अकाउंट सक्रिय थे. इन्हें एक भारतीय नंबर से संचालित किया जा रहा था. पुलिस को शक था कि जालसाज अपनी गतिविधियों को छिपाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल कर रहे थे.

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