कोलकाता. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद शमिक भट्टाचार्य ने शुक्रवार को सॉल्टलेक स्थित भाजपा कार्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस सरकार पर बांग्लाभाषी प्रवासी श्रमिकों को लेकर झूठा प्रचार करने का आरोप लगाया. भट्टाचार्य ने जोर देकर कहा कि किसी भी राज्य में बांग्लाभाषियों को प्रताड़ित नहीं किया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस राज्य के लोगों के बीच भ्रम पैदा कर रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन लोगों के पास से अवैध दस्तावेज बरामद हुए हैं, उनको संबंधित राज्यों की पुलिस ने हिरासत में लिया है, जबकि किसी भी बेगुनाह बंगाली या बांग्लाभाषी को कहीं भी परेशान नहीं किया जा रहा है. शमिक भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार राज्य के युवाओं और श्रमिकों की योग्यता का मूल्यांकन करने में विफल रही है और योग्य लोगों को उचित स्थान नहीं दे पा रही है. उन्होंने कहा कि अपनी इन विफलताओं को छिपाने के लिए सरकार बंगाल और बंगालियों की भावनाओं को अपने आखिरी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है. भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार को शासन-प्रशासन के हर पहलू में विफल बताया. उन्होंने इसे संस्थागत लूट और असीमित भ्रष्टाचार की सरकार करार दिया. विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के संबंध में भट्टाचार्य ने कहा कि अब तृणमूल सरकार डर के मारे बीएलओ को धमका रही है, ताकि मतदाता सूची से एक भी नाम न छूटे. उन्होंने दावा किया कि तृणमूल सरकार की विदाई की घंटी बज चुकी है. उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाताओं की पहचान की है, उसी तरह पश्चिम बंगाल में भी फर्जी मतदाताओं की पहचान की जायेगी. भट्टाचार्य ने राज्य की वर्तमान आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने बताया कि दक्षिण 24 परगना जिले में फलता स्थित विशेष आर्थिक जोन में पहले 70 इकाइयां थीं, जिनकी संख्या अब घटकर 36 हो गयी है. यही नहीं, 6,688 कंपनियों ने अपने मुख्यालय कोलकाता से अन्य स्थानों पर स्थानांतरित कर दिये हैं. उन्होंने राज्य सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 2017 में तृणमूल आर्द्रभूमि संरक्षण एवं प्रबंधन नियमावली लेकर आयी थी, लेकिन इस नीति को लागू करने के बाद भी आज गांवों और शहरों में जगह-जगह आर्द्रभूमि के तालाबों का पानी सूखता जा रहा है. उन्होंने उदाहरण दिया कि वीआइपी रोड के पास देवीघाट का आधा हिस्सा सूख चुका है और इस आर्द्रभूमि के पीछे की जमीन को प्रमोटरों को सौंप दिया गया है. उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार राज्य में रामसर स्थलों और इन आर्द्रभूमियों को नष्ट कर रही है.
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