संवाददाता, कोलकाता
पूर्व बर्दवान जिले में स्थित बर्दवान सेंट्रल करेक्शनल होम (बर्दवान जेल) में एक के बाद एक हो रही कैदियों की अस्वाभाविक मौत को लेकर मानवाधिकार संगठन ””एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स”” (एपीडीआर) ने गंभीर चिंता जताते हुए मामले की न्यायिक जांच की मांग की है. शुक्रवार को एपीडीआर की ओर से जारी बयान में बताया गया कि बुधवार को बर्दवान जेल में युवा कैदी शुभब्रत दत्ता की मौत हो गयी. जेल प्रशासन का कहना है कि उसने शौचालय में फांसी लगा ली. लेकिन उसके परिजन और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला है.
एपीडीआर के महासचिव रंजीत सूर ने कहा कि इसी जेल में मार्च 2025 में एक और युवा कैदी बिश्वजीत सांतरा की भी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गयी थी. उस समय जेल प्रशासन ने मौत की वजह प्रेम प्रसंग बताया था, लेकिन एपीडीआर की जांच में पता चला कि जेल में मोबाइल मिलने के बाद उसे पीटा गया और लगातार एकांत कारावास में रखा गया.
सांतरा के परिवार ने तब आरोप लगाया था कि उसे यातनाएं दी जा रही थीं. अब शुभब्रत की मौत के बाद फिर से जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. रंजीत सूर के अनुसार, वर्ष 2024 में भी बर्दवान जेल में कम से कम दो कैदियों की अस्वाभाविक मौत हुई थी.
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