शीर्ष अदालत ने कोलकाता की एक कंपनी से जुड़े मामले में हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा
संवाददाता, कोलकातासुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सुरक्षित, उचित रूप से रखरखाव की गयी अच्छी सड़कों पर चलना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों के जीवन के अधिकार का हिस्सा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को सड़कों के विकास और रखरखाव की जिम्मेदारी अपने हाथों में लेनी चाहिए, न कि इसे किसी निजी संस्था पर छोड़ना चाहिए.न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की खंडपीठ ने एक रिट याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. राज्य सरकार ने एक निजी संस्था के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी, क्योंकि संस्था को सड़क निर्माण की जिम्मेदारी दी गयी थी, लेकिन कंपनी ने अपना काम सही तरह से नहीं किया. इसे लेकर मध्य प्रदेश सरकार ने कोलकाता की कंपनी पर कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाइकोर्ट का रुख किया था. कलकत्ता हाइकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी ने दावा किया था कि किसी सरकार की ओर से किसी निजी संस्था के खिलाफ रिट याचिका दायर नहीं की जा सकती. हालांकि, हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि चूंकि सड़क निर्माण व रखरखाव की जिम्मेदारी सरकार ने दी है, इसलिए वह कंपनी के खिलाफ याचिका दायर कर सकती है. इस फैसले को चुनौती देते हुए कोलकाता की कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जहां सर्वोच्च अदालत ने भी हाइकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा. साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश राजमार्ग अधिनियम 2004 के अनुसार, सड़कों का निर्माण, मरम्मत और रखरखाव राज्य की एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. कोर्ट के अनुसार, देश के किसी भी हिस्से में स्वतंत्र आवाजाही भी एक तरह का मौलिक अधिकार है. इसलिए, इस प्रकार के महत्वपूर्ण मामले में, राज्य को आउटसोर्सिंग पर अत्यधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि अपने स्वयं के निगम के माध्यम से काम पूरा करना चाहिए.
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