Baisi Vidhan Sabha Chunav 2025: बायसी का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां मतदाता पार्टी से ज्यादा चेहरे और स्थानीय जुड़ाव को प्राथमिकता देते हैं. 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हो या 2010 में बीजेपी की एंट्री, यहां की जनता ने हमेशा अपना फैसला बदलते समीकरणों के आधार पर सुनाया है. कांग्रेस और राजद इस सीट पर चार-चार बार जीत चुकी हैं, लेकिन 2020 में AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद की जीत ने पूरे समीकरण ही बदल दिया.
मुस्लिम वोट बैंक लेकिन निर्णायक हिंदू वोटर
बायसी सीट की सबसे बड़ी विशेषता इसका मुस्लिम बहुल होना है. यहां करीब 64.3% मुस्लिम वोटर हैं, जो इसे सीमांचल की एक मजबूत मुस्लिम सीट बनाता है. हालांकि, यादव, कोइरी और रविदास जैसी जातियां, जो प्रमुख हिंदू वोट बैंक हैं, हर चुनाव में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाती हैं. दलित (7.15%) और आदिवासी (1.76%) वोटर्स भी एक सीमित लेकिन असरदार उपस्थिति रखते हैं.
AIMIM की एंट्री और RJD की वापसी
2020 में AIMIM के रुकनुद्दीन अहमद ने बीजेपी के विनोद कुमार को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. लेकिन 2022 में रुकनुद्दीन सहित AIMIM के चार विधायकों का RJD में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ा झटका था. अब RJD के पास एक मजबूत चेहरा है, जो AIMIM के वोटबैंक को अपनी ओर खींच सकता है.
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2025: हाई-वोल्टेज मुकाबला तय
2025 के विधानसभा चुनावों में बायसी सीट पर कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है। एक तरफ RJD के पास अनुभवी और स्थानीय समर्थन वाला नेता है, तो दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस इस सीट पर अपनी खोई जमीन वापस पाने को बेताब हैं. AIMIM के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन जाएगा खासकर तब, जब उनके पुराने नेता अब विरोधी खेमे में शामिल हो चुके हैं.
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