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Baisi Vidhan Sabha Chunav 2025: 2022 का बदला लेने की तैयारी में जुटी AIMIM, ओवैसी की होगी परीक्षा

Baisi Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति का तापमान बढ़ चुका है, और पूर्णिया जिले की बायसी विधानसभा सीट इस चुनावी मौसम में सबसे ज्यादा चर्चित सीटों में से एक बनकर उभर रही है. सीमांचल की राजनीति का यह गढ़ 2025 में एक बार फिर सियासी संग्राम का मैदान बनने जा रहा है, जहां समीकरणों की गणित और गठबंधन की केमिस्ट्री दोनों की असली परीक्षा होगी.

Baisi Vidhan Sabha Chunav 2025: बायसी का राजनीतिक इतिहास बताता है कि यहां मतदाता पार्टी से ज्यादा चेहरे और स्थानीय जुड़ाव को प्राथमिकता देते हैं. 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हो या 2010 में बीजेपी की एंट्री, यहां की जनता ने हमेशा अपना फैसला बदलते समीकरणों के आधार पर सुनाया है. कांग्रेस और राजद इस सीट पर चार-चार बार जीत चुकी हैं, लेकिन 2020 में AIMIM के सैयद रुकनुद्दीन अहमद की जीत ने पूरे समीकरण ही बदल दिया. 

मुस्लिम वोट बैंक लेकिन निर्णायक हिंदू वोटर

बायसी सीट की सबसे बड़ी विशेषता इसका मुस्लिम बहुल होना है. यहां करीब 64.3% मुस्लिम वोटर हैं, जो इसे सीमांचल की एक मजबूत मुस्लिम सीट बनाता है. हालांकि, यादव, कोइरी और रविदास जैसी जातियां, जो प्रमुख हिंदू वोट बैंक हैं, हर चुनाव में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाती हैं. दलित (7.15%) और आदिवासी (1.76%) वोटर्स भी एक सीमित लेकिन असरदार उपस्थिति रखते हैं.

AIMIM की एंट्री और RJD की वापसी

2020 में AIMIM के रुकनुद्दीन अहमद ने बीजेपी के विनोद कुमार को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया. लेकिन 2022 में रुकनुद्दीन सहित AIMIM के चार विधायकों का RJD में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ा झटका था. अब RJD के पास एक मजबूत चेहरा है, जो AIMIM के वोटबैंक को अपनी ओर खींच सकता है.  

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2025: हाई-वोल्टेज मुकाबला तय

2025 के विधानसभा चुनावों में बायसी सीट पर कांटे की टक्कर तय मानी जा रही है। एक तरफ RJD के पास अनुभवी और स्थानीय समर्थन वाला नेता है, तो दूसरी तरफ बीजेपी और कांग्रेस इस सीट पर अपनी खोई जमीन वापस पाने को बेताब हैं. AIMIM के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन जाएगा खासकर तब, जब उनके पुराने नेता अब विरोधी खेमे में शामिल हो चुके हैं.

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Prashant Tiwari
Prashant Tiwari
प्रशांत तिवारी डिजिटल माध्यम में पिछले 3 सालों से पत्रकारिता में एक्टिव हैं. करियर की शुरुआत पंजाब केसरी से करके राजस्थान पत्रिका होते हुए फिलहाल प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम तक पहुंचे हैं, देश और राज्य की राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं. साथ ही अभी पत्रकारिता की बारीकियों को सीखने में जुटे हुए हैं.

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