Digha Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार की सबसे बड़ी और चर्चित शहरी विधानसभा सीटों में शुमार दीघा विधानसभा क्षेत्र (विधानसभा संख्या 181) आने वाले 2025 चुनाव को लेकर एक बार फिर सुर्खियों में है. यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद बनी और तब से अब तक इसका राजनीतिक सफर दिलचस्प रहा है. बीते तीन विधानसभा चुनावों में भाजपा और जदयू के बीच सत्ता की अदला-बदली देखी गई, लेकिन 2015 से भाजपा के डॉ. संजीव चौरसिया इस सीट पर लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं.
तीन चुनावों का ट्रेंड: जदयू से भाजपा की ओर झुकी जनता
2010: दीघा सीट पर पहला चुनाव जदयू की पूनम देवी ने भारी बहुमत से जीता था. उन्हें 62% वोट मिले और LJP के सत्यनंद शर्मा को 16% वोट ही मिले.
2015: भाजपा के संजीव चौरसिया ने पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्हें 50.75% वोट मिले, जबकि जदयू के राजीव रंजन को 37.17% वोट मिले.
2020: एक बार फिर संजीव चौरसिया ने जीत दोहराई, इस बार CPI(ML) की शशि यादव को हराया और 46 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की.
वर्ष | विजेता (पार्टी) | वोट प्रतिशत | प्रमुख प्रतिद्वंदी | वोट प्रतिशत | जीत का अंतर |
2010 | पूनम देवी (JDU) | 62.04% | सत्यनंद शर्मा (LJP) | 15.87% | ~60,462 |
2015 | संजीव चौरसिया (BJP) | 50.75% | राजीव रंजन (JDU) | 37.17% | ~24,779 |
2020 | संजीव चौरसिया (BJP) | 57.11% | शशि यादव (CPI-ML) | 30.00% | ~46,073 |
2025 का सवाल: फिर से कमल खिलेगा या लहर बदलेगी?
भाजपा इस सीट पर लगातार दो बार जीत दर्ज कर चुकी है, लेकिन विपक्षी दलों के गठबंधन और CPI(ML) जैसी जमीनी पार्टी की बढ़ती पैठ 2025 में मुकाबले को रोचक बना सकती है.
यदि संजीव चौरसिया फिर से मैदान में उतरते हैं, तो वह हैट्रिक के दावेदार होंगे. हालांकि, विरोधियों की रणनीति, जातीय समीकरण और एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की हवा भी इस बार असर दिखा सकती है.
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