Morwa Vidhan Sabha Chunav 2025: मोरवा विधानसभा सीट पर 1952 में पहले आम चुनाव के बाद से अब तक कई पार्टियों ने यहां विजय पताका फहराई है. कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली यह सीट धीरे-धीरे सामाजिक न्याय की राजनीति के उदय के साथ राजद और जदयू के बीच झूलने लगी. लालू प्रसाद यादव के उदय के बाद 1990 के दशक में यहां राजद ने मजबूती से अपनी पकड़ बनाई, लेकिन नीतीश कुमार के विकास के वादों के साथ जदयू ने भी यहां मजबूत दस्तक दी. हालांकि 2020 में राजद के रणविजय साहू ने यहां से जीत दर्ज की, जो इस समय क्षेत्र के विधायक हैं.
जातीय समीकरण
मोरवा विधानसभा सीट पर जातीय समीकरण चुनावी नतीजों को सीधे प्रभावित करते हैं. यहां निषाद, यादव, कुर्मी, दलित और मुस्लिम समुदाय की अहम भूमिका मानी जाती है. निषाद समुदाय यहां निर्णायक मतदाता समूह के रूप में उभरा है, और इसी को देखते हुए लगभग हर पार्टी अपने प्रत्याशी का चयन बड़ी रणनीति के तहत करती है.
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चुनावी मुद्दे और वादे
हर चुनाव में यहां के उम्मीदवार जनता से बड़े-बड़े वादे करते हैं. बाढ़ से स्थायी राहत, नदियों पर पुलों का निर्माण, सड़क और बिजली की सुविधाएं, उच्च शिक्षा संस्थानों की स्थापना, और सबसे अहम स्थानीय युवाओं को रोजगार, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मोरवा आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है. कई गांव आज भी बाढ़ के दौरान मुख्य सड़क से कट जाते हैं, जबकि स्थानीय उद्योग न के बराबर हैं.