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चनपटिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं मनीष कश्यप, जन सुराज ऐसे बदलेगा समीकरण

Chanpatia Vidhan Sabha Chunav 2025: विधानसभा चुनाव में चनपटिया सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प होने जा रहा है. जहां भाजपा को अपनी पारंपरिक पकड़ को बनाए रखने की चुनौती होगी, वहीं जन सुराज मनीष कश्यप जैसे चेहरे के सहारे एक नई लहर बनाने की कोशिश करेगी.

Chanpatia Vidhan Sabha Chunav 2025: बेतिया. विधानसभा चुनाव मनीष कश्यप के चनपटिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. अब यह बात लगभग तय मानी जा रही है. मनीष कश्यप का पैतृक गांव चनपटिया विधानसभा क्षेत्र में है. खुद उन्होंने हाल ही में यह संकेत दिया था कि उन्होंने अपने गांव जाकर स्थानीय लोगों से बात करने के बाद यह फैसला लिया है. मनीष कश्यप ने खुद स्वीकार किया कि वे यहीं से चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. मनीष कश्यप पहले भी 2020 के चुनाव में चनपटिया सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे और 9,000 से ज्यादा वोट हासिल किए थे, जो बिना किसी संगठन के एक मजबूत जनाधार का संकेत था.

भाजपा का गढ़ रहा है चनपटिया

चनपटिया सीट को अब तक एनडीए और विशेषकर भाजपा का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है. यहां पार्टी की पकड़ जातीय समीकरणों और विकास के मुद्दों के आधार पर मजबूत रही है, लेकिन मनीष कश्यप के जन समर्थन और जन सुराज की मौजूदा जमीनी रणनीति ने मुकाबले को रोचक बना दिया है. चनपटिया सीट पर पिछले 25 वर्षों से भाजपा का कब्जा रहा है. चनपटिया सीट पर 2020 भाजपा के उम्मीदवार उमाकांत सिंह भारी मतों से जीते थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक रंजन को हराया था. जातीय समीकरण की बात करे तो भूमिहार- ब्राह्मण, राजपूत समुदाय पर भाजपा की परंपरागत पकड़ है. यादव, दलित और मुस्लिम वोटर्स पर राजद और कांग्रेस की पकड़ है. अगर जन सुराज इन वर्गों को एक साझा मंच पर लाने में सफल रही, तो चनपटिया में मुकाबला बहुकोणीय और कड़ा हो सकता है.

कांग्रेस से भाजपा में आयी चनपटिया विधानसभा सीट

बिहार की चनपटिया विधानसभा सीट का राजनीतिक इतिहास काफी दिलचस्प और बदलावों से भरा रहा है. यह सीट पहले बेतिया लोकसभा क्षेत्र के तहत आती थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे पश्चिमी चंपारण संसदीय क्षेत्र में शामिल कर लिया गया. चनपटिया में विधानसभा चुनावों की शुरुआत 1957 से हुई थी. पहले चुनाव में कांग्रेस की केतकी देवी ने जीत दर्ज की. इसके बाद कांग्रेस के प्रमोद मिश्रा ने 1962 और 1967 में लगातार दो बार इस सीट पर जीत हासिल की, जिससे यह सीट कांग्रेस का मजबूत गढ़ बन गई थी. 1980, 1985 और 1995 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने इस सीट पर कब्जा जमाया. 2000 से भाजपा ने इस सीट पर कब्जा किया, जो अब तक थमा नहीं है. भाजपा ने यहां से लगातार 5 बार जीत दर्ज की है.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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