Chhatapur Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार की राजनीति में एक बार फिर घमासान मचने वाला है. विपक्ष जहां उम्मीद लगाए बैठा है कि 20 साल के राज के बाद इस बार नीतीश कुमार की सरकार की वो विदाई करने वाला है तो वहीं, सत्ता पक्ष इस बात को लेकर बेफिक्र है कि नीतीश कुमार की सुशासन बाबू की छवि भी इस बार उन्हें सत्ता तक पहुंचा ही देगी. ऐसे में ही एक सीट है सुपौल की छातापुर विधानसभा. इस बार आम से लेकर खास तक सबकी निगाहें लगी हैं इस सीट पर. क्योंकि यहां से नीतीश कैबिनेट के मंत्री नीरज सिंह बबलू लगातार तीन बार से विधायक है और चौथी बार चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं.
2010 जदयू तो 2015-20 में भाजपा से जीता चुनाव के टिकट पर जीते नीरज सिंह बबलू
2010 के विधानसभा चुनाव में छातापुर सीट से नीरज सिंह बबलू को जीत मिली. जदयू के टिकट पर उतरे नीरज कुमार सिंह उर्फ बबलू ने राजद के अकील अहमद ने 23,730 वोट से हरा दिया. वहीं, 2013 में जेडीयू के एनडीए से अलग होने पर बबलू बीजेपी में शामिल हो गए और 2015 के विधानसभा चुनाव में नीरज लगातार दूसरी बार जीते. इस बार नीरज भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे. नीरज की इस जीत के साथ छातापुर सीट पर भाजपा का खाता खुल गया. इस चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने राजद के जहूर आलम को 9,292 वोट से हराया. 2020 के विधानसभा चुनाव में नीरज कुमार सिंह ने छातापुर में जीत की हैट्रिक लगाई. इस चुनाव में भाजपा के नीरज कुमार सिंह ने राजद के विपिन कुमार सिंह 20,635 वोट से हराया.
आसान नहीं है बबलू की राह
नीरज सिंह बबलू, जो भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाते हैं, अब तक तीन बार विधायक बन चुके हैं और अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ के लिए जाने जाते हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार मुकाबला पहले से कहीं ज्यादा कड़ा होगा. न केवल विपक्ष की रणनीति उन्हें टक्कर देने को तैयार है, बल्कि क्षेत्रीय असंतोष और बदलता सामाजिक समीकरण भी उनके लिए चुनौती बनता दिख रहा है. वैसे बता दें कि नीरज सिंह बबलू बॉलीवुड के दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई भी हैं.
महागठबंधन की रणनीति और युवाओं का असंतोष बन सकती है मुसिबत
इस बार नीरज सिंह बबलू को विपक्ष से कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है. महागठबंधन खासकर युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए आक्रामक प्रचार में जुटा है. साथ ही, जातीय समीकरणों का भी बड़ा रोल रहेगा, जो इस बार पहले की तुलना में अलग दिशा में जा सकता है. लेकिन माना जा रहा है कि अगर नीरज सिंह बबलू इस बार भी जीत दर्ज करते हैं तो यह उनके राजनीतिक करियर के लिए एक ऐतिहासिक पल होगा. यह न केवल उनके जनाधार को दिखाएगा, बल्कि उन्हें राज्य राजनीति में एक स्थायी चेहरा भी बना सकता है.
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