Election Express Video: प्रभात खबर का इलेक्शन एक्सप्रेस गुरुवार को गोपालगंज शहर में पहुंचा. सदर ब्लॉक के पास स्थित सम्राट अशोक भवन में मेगा चौपाल का आयोजन किया गया. दो सत्रों में चौपाल के दौरान जिले के लोगों ने अक्तूबर- नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मुद्दों पर गंभीरता से चर्चा की. जनता ने अपने मुद्दों को अपने राजनीतिक दलों के सामने रखा.
गंडक नदी की बाढ़ से होने वाली तबाही, जिले में हायर एजुकेशन नहीं होने, सूखा, बिजली की कटौती, शहर में जलजमाव, ट्रेनों का परिचालन नहीं होने जैसे प्रमुख मुद्दों को उठाया. लोगों के तीखे सवालों से राजनीतिक दलों के नेता जूझते रहे. कई बार नोक- झोंक भी हुई.
गोपालगंज चौपाल में जनप्रतिनिधियों से भिड़े सवाल
गोपालगंज के सम्राट अशोक भवन में बुधवार को गहमागहमी का माहौल था और गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता अपने क्षेत्र के माननीयों से अपने सवालों का जवाब लेने को बेताब थी. मौका था प्रभात खबर इलेक्शन एक्सप्रेस के चौपाल का, जिसमें गोपालगंज विधान सभा के साथ पूरे जिले की समस्याएं गूंजती रहीं. जनता प्रश्न करती रही और नेता उसका जवाब देते रहे.
सत्तापक्ष और विपक्ष आमने-सामने
कार्यक्रम में जदयू की ओर से बिहार नागरिक परिषद के उपाध्यक्ष मंजीत सिंह, जदयू जिलाध्यक्ष आदित्य शंकर शाह, भाजपा के एमएलसी राजीव कुमार उर्फ गप्पू सिंह, कांग्रेस से ओम प्रकाश गर्ग, राजद के जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह तथा जनसुराज के नेता डॉ एम हक शामिल रहे. राजद जिलाध्यक्ष ने जदयू सरकार की विफलताओं की बात बतायी और गोपालगंज विधानसभा क्षेत्र की कई समस्याओं पर प्रकाश डाला, तो जदयू नेता मंजीत कुमार सिंह ने सरकार के कई विकासात्मक कार्यों को बताया.
जनसुराज ने दोनों दलों को लिया निशाने पर
जनसुराज के डॉ एचहक ने पक्ष तथा विपक्ष दोनों पर अपने तीर चलाये और डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण छात्रों की समस्या, ट्रेनों के ठहराव आदि को लेकर सत्ता पक्ष को घेरा. कार्यक्रम में गंडक की तबाही, ट्रेनों की कमी तथा छात्रों के लिए उच्च शिक्षा पर बड़ी देर तक बहस चलती रही. कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने भी अपनी बातें कार्यक्रम में रखी. इस दौरान कई बार पक्ष तथा विपक्ष के समर्थकों के बीच खींचतान चलती रही.
बाढ़ विस्थापन और जमीन कब्जे जैसे जमीनी मुद्दों पर खुलकर बोले लोग
इससे पहले थावे मंदिर परिसर, मौनिया चौक, आंबेडकर चौक पर चौराहे पर चर्चा में लोगों ने भाग लिया और अपनी बातों को रखा. इस दौरान मेडिकल कॉलेज के निर्माण कार्य में देरी, दिल्ली, मुंबई, गुजरात, कोलकात्ता, चेन्नई जैसे बड़े शहरों में जाने के लिए ट्रेन नहीं होना, बाढ़ से विस्थापित हजारों परिवार को बसाने के लिए इंतजाम, सरकारी, मठ-मंदिरों व कमजोर लोगों की जमीनों पर कब्जा, शहर में हायर एजुकेशन के संस्थान खोलने का मुद्दा छाया रहा.