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Kanti : इजरायल मंसूरी को टक्कर कौन देगा कांटी सीट पर?

Kanti Vidhan Sabha Chunav 2025: थर्मल पावर के कारण अपनी पहचान रखने वाले कांटी विधानसभा क्षेत्र में राजनीति परवान पर है. आजादी के बाद ढाई दशक तक यह क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ था. लेकिन, जेपी आंदोलन के बाद यहां से कांग्रेस का पांव ऐसा उखड़ा कि फिर से कोई कांग्रेसी क्षेत्र में पार्टी को खड़ा नहीं कर सका.

Kanti Vidhan Sabha Chunav 2025: कांटी विधानसभा सीट वैशाली लोकसभा के तहत आता है.1951 में ही कांटी सीट अस्तित्व में आया था.1951,1957 और 1962 में इस सीट पर हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी कैंडिडेट यमुना प्रसाद त्रिपाठी ने लगातार जीत हासिल की थी. 1967 में कांटी में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी कैंडिडेट एम पी सिन्हा ने विरोधियों को मात देने में कामयाबी हासिल की थी. 1969 में कांटी सीट से एलटीसी की टिकट पर हरिहर प्रसाद शाही ने विरोधियों को शिकस्त दे दिया था. 1972 के कांग्रेसी कैंडिडेट शंभु शरण ठाकुर ने कांटी में हुए विधानसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया था.

1977 में जेएनपी की टिकट पर यहां से ठाकुर प्रसाद सिंह ने विरोधियों को बुरी तरह हरा दिया था. 1980 और 1985 में एसयूसी के कैंडिडेट नलिनी रंजन सिंह ने जनता का समर्थन हासिल कर लिया था. 1990 में जनता दल की टिकट पर नलिनी रंजन सिंह ने एक बार फिर जनता का भरोसा जीत लिया था.


1995 में मुफ्ती मोहम्मद कासिम ने जनता दल की टिकट पर कांटी में विरोधियों को शिकस्त दे दिया था. 2000 के चुनाव में कांटी से गुलाम जिलानी वारसी ने आरजेडी की टिकट पर जीत हासिल की थी. 2005 और 2010 के विधानसभा चुनाव में कांटी सीट से अजित कुमार ने जीत हासिल की थी. 2015 में निर्दलीय कैंडिडेट अशोक कुमार चौधरी ने कांटी सीट से जनता का समर्थन हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली थी. 2020 में आरजेडी कैंडिडेट मोहम्मद इजरायल मंसूरी ने विरोधियों को मात दे दिया था. इस बार भी मंसूरी ही एनडीए के कैंडिडेट को टक्कर दे सकते हैं.

कांटी विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

कांटी विधानसभा सीट को नतीजे तय करने में मुस्लिम, भूमिहार और पासवान वोटरों की अहम भूमिका है. हालांकि यहां यादव, कुर्मी, कोइरी और राजपूत मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है यहां 2000 विधानसभा चुनाव में सर्वाधिक 65.9% मतदान हुआ था. इस सीट पर कुल वोटर 5.93 लाख पुरुष वोटर 1.57 लाख (53.6%) महिला वोटर 1.35 लाख(46.1%) ट्रांसजेंडर वोटरः 8 (0.002%).

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इस बार जेडीयू को ऐसा कैंडिडेट चुनना होगा जो इजरायल मंसूरी को हराने की ताकत रख सके. पिछली बार निर्दलीय उम्मीदवार ने भी जेडीयू कैंडिडेट को पीछे छोड़ दिया था. इसलिए इस बार जेडीयू आलाकमान को कांटी सीट पर अपने पत्ते बहुत समझदारी से खेलने होंगे. इस वर्ष कांटी विधानसभा के सियासी अखाड़े में राजद के उम्मीदवार के रूप मोहम्मद इजराइल मंसूरी जबकि एनडीए खेमे से जदयू उम्मीदवार मो. जमाल सियासी अखाड़े में हैं. ऐसे में इस बार कांटी विधानसभा में त्रिकोणीय मुकाबले के आसार ज्यादा दिख रहे हैं. इस वर्ष विधानसभा चुनाव में हार-जीत बेहद कम मतों से हो सकता है.

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और शोधकर्ता . लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन . यूथ की आवाज़, वूमेन्स वेब आदि में लेख प्रकाशित.

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