Kasba Vidhan Sabha Chunav 2025: साल 1952 में कसबा, अमौर और पूर्णिया सदर एक ही विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा थे. लेकिन 1957 में कसबा को अलग कर इसे 138वां विधानसभा घोषित किया गया. इस सीट से पहली बार कांग्रेस नेता ए. अहमद विधायक बने. समय के साथ कसबा ने आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रगति की है और आज यह पूर्णिया जिले का सबसे विकसित और केंद्रीय क्षेत्र माना जाता है. कसबा मुख्यालय में आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं, फिर भी इसे अनुमंडल का दर्जा दिलाने की दिशा में आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है.
मुख्यमंत्री के वादे के बाद भी नहीं शुरू हुआ PG कोर्स
गढ़बनैली, जिसे कसबा का औद्योगिक क्षेत्र माना जाता है, वहां अपेक्षित स्तर पर उद्योगों की स्थापना नहीं हो पाई है. स्थानीय युवाओं को उच्च शिक्षा के लिए कसबा स्थित एम.एल. आर्य कॉलेज और जवाहर नवोदय विद्यालय जैसे संस्थान उपलब्ध हैं, परंतु कॉलेज में अब तक स्नातकोत्तर (PG) की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है. वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री ने जलालगढ़ के हांसी बेगमपुर में PG कोर्स शुरू करने का वादा किया था, लेकिन वह आज तक पूरा नहीं हुआ.
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मक्का उद्योग की अनदेखी: किसानों के लिए बड़ी चुनौती
कसबा विधानसभा क्षेत्र मक्का उत्पादन में अग्रणी है, लेकिन मक्का आधारित प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना न होने से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता. फसल की बिक्री में बिचौलियों पर निर्भरता अधिक है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कजरी नदी पर एक नए पुल की मांग लंबे समय से की जा रही है. बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों को आने-जाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. यह पुल न केवल सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्रीय संपर्क को भी मजबूत करेगा. कस्बा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला आम तौर पर मुख्य रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच ही रहा है. 2015 और 2020 के चुनावमें में कांग्रेस के एमडी. आफाक आलम ने जीत दर्ज की है.
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