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Kumhrar Vidhan Sabha Chunav 2025: 35 साल से भाजपा का अजेय गढ़

Kumhrar Vidhan Sabha Chunav 2025: कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र, पहले 'पटना सेंट्रल' के नाम से जाना जाता था और तब से भाजपा का अभेद्य गढ़ रहा है. ऐतिहासिक दृष्टि से यह पाटलिपुत्र की प्राचीन राजधानी और मौर्यकालीन विरासत का केंद्र रहा है. जातीय समीकरण में कायस्थों का वर्चस्व है, जो भाजपा की जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि यहां मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है, जिससे भाजपा को निष्क्रिय वोटर्स की चिंता सता रही है. राजद और महागठबंधन के लिए यही कमजोरी एक अवसर हो सकता है, बशर्ते वे शहरी मतदाताओं को सक्रिय कर सकें.

Kumhrar Vidhan Sabha Chunav 2025 : कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में हुआ और पहला चुनाव 2010 में हुआ. 2010 से पहले इस सीट का नाम पटना सेंट्रल था. भाजपा ने यहां 1980 में पहली बार जीत दर्ज की थी और केवल 1985 में कांग्रेस से हार का सामना किया. 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के मोहम्मद शाहबुद्दीन विधायक चुने गए थे.1980 में यह सीट बीजेपी उम्मीदवार शैलेन्द्र नाथ श्रीवास्तव ने जीत हासिल की थी.1985 में कांग्रेसी कैंडिडेट अकिल हैदर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे.1990 में फिर से यह सीट बीजेपी के खाते में आई.

1990 से भाजपा के दिग्गज नेता स्व. सुशील कुमार मोदी ने लगातार तीन बार पटना सेंट्रल से जीत हासिल की, जिसके बाद अरुण कुमार सिन्हा ने लगातार पांच बार जीत दर्ज की. कुल मिलाकर भाजपा ने पटना सेंट्रल के आठ चुनावों में से छह में और कुम्हरार के नाम पर हुए तीनों चुनावों में जीत दर्ज की है. यानी पिछले 35 वर्षों से भाजपा यहां अजेय रही है.

कुम्हरार का इतिहास

‘कुम्हरार’ का नाम से अनजान है. लोग ‘कुम्हार’ यानी कुम्हार समुदाय से जोड़ कर देखते हैं. कुम्हरार एक अहम स्थान है. यही वह जगह है जहां कभी शक्तिशाली मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र बसी थी, जब राजधानी को राजगीर से यहां स्थानांतरित किया गया था.

पटना जंक्शन से लगभग 5 किलोमीटर पूर्व में स्थित कुम्हरार में हुई पुरातात्विक खुदाईयों में मौर्यकालीन (322–185 ईसा पूर्व) अवशेष मिले हैं. इनमें सबसे प्रमुख है 80 स्तंभों वाला एक भव्य हॉल, जिसे सम्राट अशोक ने बौद्ध सभागार के रूप में बनवाया था, और आरोग्य विहार जो एक मठ-सह-चिकित्सालय है, जिसे आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि के मार्गदर्शन में संचालित किया गया था. यहां ‘धन्वंतरयेह’ अंकित एक मिट्टी का टुकड़ा और दूसरी पहली सदी ईसा पूर्व का दुर्रखी देवी मंदिर भी खोजा गया है.

कुम्हरार का जातीय समीकरण

कुम्हरार सीट पर कायस्‍थ समाज का दबदबा है और इसी बात का सीधा फायदा बीजेपी उठाती आई है. इस सीट पर चार लाख से अधिक वोटर हैं, इनमें से एक लाख मतदाता कायस्‍थ समाज के हैं. कुम्हरार सीट पर कायस्‍थ समाज का दबदबा है और इसी बात का सीधा फायदा भाजपा उठाती आई है. इस सीट पर चार लाख से अधिक वोटर हैं, इनमें से एक लाख मतदाता कायस्‍थ समाज के हैं. कायस्‍थ के बाद इस सीट पर भूमिहार और अतिपिछड़ा वोटरों की भी बड़ी संख्या है. 2015 में इस सीट पर 38.2 प्रतिशत वोट मतदान हुआ था. इसमें 39.7 पुरुषों और 36.06 प्रतिशत मतदान महिलाओं ने किए थे.

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2020 के विधानसभा चुनाव में कुम्हरार में 4,27,427 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में बढ़कर 4,30,188 हो गए. यह पूरी तरह शहरी क्षेत्र है और इसमें कोई भी ग्रामीण मतदाता दर्ज नहीं है. 2020 में अनुसूचित जाति के मतदाता 7.21% थे, जबकि मुस्लिम मतदाता 11.6% थे.

यहां की कम वोटिंग दर भाजपा के लिए एक चिंता की बात है. 2015 में 38.25%, 2019 में 37.84% और 2020 में केवल 35.28% मतदान हुआ. इसका एक कारण यह हो सकता है कि लोगों को भाजपा की जीत सुनिश्चित लगती है, जिससे मतदान में उत्साह नहीं होता.

यदि चुनाव में मतदान प्रतिशत में अचानक वृद्धि होती है, तो यह स्पष्ट नहीं है कि इसका लाभ किसे मिलेगा. निष्क्रिय मतदाताओं को सक्रिय कर भाजपा की इस एकतरफा बढ़त को चुनौती देना ही राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए एकमात्र रास्ता है.

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और शोधकर्ता . लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन . यूथ की आवाज़, वूमेन्स वेब आदि में लेख प्रकाशित.

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