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Sandesh Vidhan Sabha Chunav 2025: यादव वर्चस्व और घटती वोटिंग में छिपी सियासी चुनौती

Sandesh Vidhan Sabha Chunav 2025: संदेश विधानसभा क्षेत्र बिहार के भोजपुर जिले में स्थित है और यह आरा लोकसभा सीट का एक हिस्सा है. संदेश पूरी तरह से एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, इस सीट पर हुए कुल चुनावों का समीकरण कांग्रेस के साथ है. इसमें 4 बार कांग्रेस, 3 बार RJD, 2-2 बार भाकपा (माले) और जनसंघ, 1-1 बार BJP, जनता दल, लोकदल, जनता पार्टी और संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की है

Sandesh Vidhan Sabha Chunav 2025: संदेश विधानसभा क्षेत्र भोजपुर जिले का एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है, जिसकी राजनीतिक यात्रा विविध दलों से होकर गुज़री है. अब तक यहां कांग्रेस, राजद, भाजपा, भाकपा(माले) समेत कई दल जीत दर्ज कर चुके हैं. यादव मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 10.5% है।

विवादों के बावजूद राजद लगातार मज़बूत बनी हुई है, जबकि NDA के पास अब तक कोई विश्वसनीय चेहरा नहीं है. अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता भी प्रभावशाली हैं. वोटिंग प्रतिशत में लगातार गिरावट चिंता का विषय है, लेकिन जातीय संतुलन यहां अब भी चुनावी गणित का मूल आधार बना हुआ है

संदेश विधानसभा सीट का इतिहास

संदेश विधानसभा सीट की स्थापना 1957 में हुई थी और यह आरा संसदीय क्षेत्र के सात हिस्सों में से एक है. तब से अब तक यहां 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं. यहां की राजनीति किसी एक पार्टी के प्रति वफादार नहीं रही है.

कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने यहां चार-चार बार जीत दर्ज की है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और उसके पूर्व रूप जनसंघ ने तीन बार जीत हासिल की है. भाकपा (माले), जो अब महागठबंधन का हिस्सा है, दो बार विजयी रही है. प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी, लोक दल और जनता दल ने एक-एक बार यह सीट जीती है. जदयू एकमात्र बड़ी पार्टी है जो अब तक यह सीट नहीं जीत सकी है, हालांकि उसने 2020 में भाजपा की जगह उम्मीदवार उतारा था लेकिन हार का सामना करना पड़ा.

राय और महतो उपनाम समेत यादव समुदाय की आबादी लगभग 10.5 प्रतिशत है, इस समिदाय ने अब तक आठ बार इस सीट पर जीत हासिल की है.

जब दो यादव भाई आमने-सामने आए

2010 का चुनाव संदेश की राजनीति में सबसे चर्चित रहा, दो बार के राजद विधायक विजेंद्र कुमार यादव को उनके छोटे भाई अरुण कुमार यादव ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनौती दी. इस संघर्ष में अरुण को 20.53 प्रतिशत वोट मिले और वे दूसरे स्थान पर रहे, जबकि विजेंद्र को 14.87 प्रतिशत वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर खिसक गए. अंततः भाजपा के संजय सिंह टाइगर 6,822 वोटों से जीत गए.

2015 में राजद ने विजेंद्र की जगह अरुण को टिकट दिया और यह दांव सफल रहा. अरुण ने भाजपा के संजय सिंह टाइगर को 25,527 वोटों से हराया. हालांकि बाद में अरुण कुमार यादव एक नाबालिग से बलात्कार के आरोप में चर्चा में आए. POCSO कोर्ट द्वारा समन के बावजूद अदालत में हाजिर न होने के चलते उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया गया. अंततः उन्होंने आत्मसमर्पण किया, गिरफ्तार हुए और 2019 में दोषी ठहराए गए. इसके चलते वे 2020 में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए.

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राजद ने उनकी जगह उनकी पत्नी किरण देवी यादव को टिकट दिया. उन्हें चुनौती देने के लिए जदयू ने विजेंद्र कुमार यादव को मैदान में उतारा, लेकिन वे एक बार फिर हार गए. किरण देवी यादव ने 50,607 वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की.

इसके अलावा, राजद समर्थित भाकपा (माले) के उम्मीदवार ने संदेश विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के मुकाबले 20,604 वोटों की बढ़त बनाई, जो NDA के लिए एक और झटका साबित हुआ.

वर्तमान परिस्थितियों में राजद को 2025 के विधानसभा चुनावों में बढ़त मानी जा रही है. दूसरी ओर, NDA के सामने यह तय करना चुनौती है कि वह अपने गठबंधन में से किस पार्टी को टिकट दे. यदि वे फिर से विजेंद्र कुमार यादव पर दांव लगाते हैं, तो यह जीत की गारंटी नहीं होगी. उन्हें एक ऐसा मजबूत उम्मीदवार तलाशना होगा, जो विवादित अरुण कुमार यादव के स्थानीय प्रभाव को चुनौती दे सके, जो एक मुश्किल, यदि असंभव नहीं, तो अत्यंत कठिन कार्य है.

संदेश विधानसभा सीट का जातीय समीकरण

संदेश विधानसभा सीट पर सबसे अहम भूमिका यादव मतदाताओं की है. हालांकि दूसरी जातियां जैसे, राजपूत, रविदास, पासवान, कोइरी और ब्राह्मण भी अच्छी संख्या हैं.

साल 1957 में पहली बार हुए चुनाव में यहां 44.1 प्रतिशत वोटिंग हुई थी. इसके बाद 2010 में यहां 52.7 प्रतिशत मतदान हुआ. साल 2015 के पिछल चुनावों में यहां 56.1 प्रतिशत वोटिंग हुई. जहां 2020 के विधानसभा चुनावों में कुल 2,91,632 मतदाताओं में से केवल 4.66 प्रतिशत शहरी मतदाता थे.

अनुसूचित जातियां यहां की एक बड़ी वोटिंग आबादी (16.15 प्रतिशत) हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता लगभग 5 प्रतिशत हैं. 2024 के लोकसभा चुनावों में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2,94,047 हो गई है.
बिहार के अधिकांश क्षेत्रों की तरह, यहां भी वोटिंग प्रतिशत लगातार गिरावट पर है. 2015 में 56.11 प्रतिशत, 2019 में 54.09 प्रतिशत और 2020 में मात्र 53.09 प्रतिशत मतदान हुआ.

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और शोधकर्ता . लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन . यूथ की आवाज़, वूमेन्स वेब आदि में लेख प्रकाशित.

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