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Tarari Vidhan Sabha Chunav 2025: किसके सिर सजेगा तरारी का ताज

Tarari Vidhan Sabha Chunav 2025: तरारी विधानसभा क्षेत्र, भले ही चुनावी रूप से नया हो, लेकिन इसका राजनीतिक इतिहास संघर्षों और विचारधारात्मक टकरावों से भरा रहा है. यहां भूमिहार, ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम वोटरों की अहम हिस्सेदारी है. सीपीआई(एमएल)(लि) ने 2015 और 2020 में यहां जीत दर्ज की, लेकिन 2024 के उपचुनाव में भाजपा ने पहली बार जीत हासिल की. यह क्षेत्र पहले नक्सल प्रभाव के लिए जाना जाता था, जो अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी में बदल चुका है. 2025 में एनडीए और महागठबंधन के बीच यहां कड़ा मुकाबला तय है, जहां जातीय और वैचारिक समीकरण निर्णायक रहेंगे.

Tarari Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार के भोजपुर जिले में स्थित तरारी विधानसभा क्षेत्र आरा लोकसभा सीट का हिस्सा है. यह दक्षिण बिहार में स्थित है. राज्य की राजधानी पटना यहां से करीब 90 किलोमीटर दूर है.

तरारी की स्वतंत्र राजनीतिक पहचान की जड़ें प्राचीन मगध साम्राज्य और यहां पर शासन करने वाले विभिन्न राजवंशों तक जाती हैं. इस क्षेत्र की राजनीतिक संघर्ष गाथा भी उतनी ही पुरानी है. 1951 में तरारी-पीरो विधानसभा क्षेत्र के रूप में इस सीट की स्थापना हुई थी, जिसे 1957 में पीरो नाम दिया गया. लेकिन 2008 में निर्वाचन आयोग द्वारा की गई परिसीमन प्रक्रिया के बाद, इस सीट को पुनः तरारी के नाम से 2010 में पुनर्स्थापित किया गया.

तरारी विधानसभा का इतिहास

तरारी का चुनावी इतिहास छोटा जरूर है लेकिन अत्यंत रोचक रहा है. 2010 में जनता दल (यूनाइटेड) के नरेंद्र कुमार पांडे ने राजद के आबिद रिजवी को 14,320 मतों से हराकर जीत दर्ज की. 2015 के चुनावों में सीपीआई(एमएल)(लिबरेशन) के सुदामा प्रसाद ने लोजपा की गीता पांडे को मात्र 272 मतों से हराया. यह मुकाबला त्रिकोणीय था जिसमें कांग्रेस के अखिलेश प्रसाद सिंह को 26.77% वोट मिले, जबकि विजेता और उपविजेता के बीच वोट प्रतिशत क्रमशः 28.79% और 28.62% रहा.

2020 में, सुदामा प्रसाद ने तब 11,015 मतों से जीत हासिल की जब उनकी पार्टी ने राजद-नेतृत्व वाले महागठबंधन का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ा और कांग्रेस ने सीट साझा करने के तहत यहां से उम्मीदवार नहीं उतारा. उस चुनाव में निर्दलीय नरेंद्र कुमार पांडे दूसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा के कौशल कुमार विद्याथरी को मात्र 8.1% वोट मिले.

सीपीआई(एमएल)(लि) की तरारी में मजबूत पकड़ इस क्षेत्र के अतीत से जुड़ी है. यह पार्टी नक्सल आंदोलन से निकली है, जिसने 1970 और 80 के दशक में भोजपुर की राजनीति को गहराई से प्रभावित किया. उस समय नक्सल कार्यकर्ताओं और सवर्ण जमींदारों के बीच हिंसक संघर्ष आम थे. आज भले ही सशस्त्र आंदोलन खत्म हो चुका हो, लेकिन नक्सल विचारधारा से जुड़े नेता अभी भी क्षेत्रीय राजनीति में प्रभावशाली हैं.

तरारी की जनता ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया जब सुदामा प्रसाद 2024 में आरा लोकसभा सीट से सांसद चुने गए, जिससे उसी वर्ष तरारी में उपचुनाव कराने की नौबत आई. भाजपा ने इस बार रणनीति में बदलाव करते हुए कौशल कुमार विद्याथरी की जगह युवा नेता विशाल प्रशांत को उम्मीदवार बनाया, और यह दांव सफल रहा. विशाल प्रशांत ने सीपीआई(एमएल)(लि) के उम्मीदवार राजू यादव को 10,612 मतों से हराकर जीत दर्ज की. इससे पहले लोकसभा चुनावों में सीपीआई(एमएल)(लि) भाजपा से महज 5,773 वोटों से आगे रही थी.

तरारी विधानसभा के समीकरण

तरारी विधानसभा सीट पर 2 लाख 60000 वोटर हैं. जिसमें 1 लाख 40000 पुरुष और 1 लाख 20000 महिला वोटर हैं. फिलहाल तरारी विधानसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा है. 2020 के विधानसभा चुनाव में तरारी में कुल 3,05,326 पंजीकृत मतदाता थे. इनमें लगभग 18.32% अनुसूचित जाति और 10.6% मुस्लिम मतदाता थे. यहां केवल 8.25% मतदाता शहरी हैं, जिससे यह क्षेत्र मुख्यतः ग्रामीण बना हुआ है. 2020 में मतदान प्रतिशत 55.81% रहा था.

जातिगत समीकरण की बात करें तो तरारी विधानसभा सीट पर भूमिहार जाति की सबसे अधिक आबादी है. तकरीबन 65000 भूमिहार वोटर हैं. दूसरे स्थान पर ब्राह्मण वोटर हैं जिनकी संख्या 30000 के आसपास है. राजपूत वोटरों की संख्या 20000 के करीब है. पिछड़ी और अति पिछड़े जाति की आबादी 45 से 50000 के बीच है. इसके अलावा यादव वोटर 30000, बनिया 25000, कुशवाहा 15000 और मुस्लिम वोटर 20000 के आसपास हैं . वोट बैंक के लिहाज से अगर बात करें तो एनडीए और महागठबंधन के बीच लड़ाई बहुत कांटे की होने वाली है.

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2025 के विधानसभा चुनावों में तरारी में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. एक ओर भाजपा-नीत एनडीए है, जिसने 2024 के बिहार उपचुनावों (जिसमें तरारी भी शामिल था) में शानदार प्रदर्शन किया, तो दूसरी ओर राजद-सीपीआई(एमएल)(लि) गठबंधन है जो इस सीट को फिर से हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाएगा. संवेदनशील इतिहास वाले इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सुरक्षा बलों की भूमिका अहम होगी.

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और शोधकर्ता . लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन . यूथ की आवाज़, वूमेन्स वेब आदि में लेख प्रकाशित.

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