Mahishi Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार की महिषी विधानसभा सीट ने 2020 के चुनाव में एक बार फिर अपनी राजनीतिक गाथा लिखी, जहां पुराने प्रतिद्वंद्वी जेडीयू और आरजेडी के बीच एक रोमांचक मुकाबला हुआ. इस सीट पर जेडीयू ने आरजेडी को चौंकाते हुए जीत दर्ज की, लेकिन यह जीत सिर्फ आंकड़ों तक सीमित नहीं रही; इसके साथ ही ये चुनाव बिहार की राजनीति के नए रुझानों और बदलावों की ओर इशारा करते हैं.
बिहार के सहरसा जिले की महिषी विधानसभा सीट विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच प्रतिस्पर्धा का केंद्र रही है. जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (RJD), जनता दल (यूनाइटेड) [JDU], और अन्य दलों ने जीत हासिल की है. 2020 के चुनाव परिणाम ने यह साबित किया कि महिषी विधानसभा सीट पर चुनावी जंग लगातार दिलचस्प होती जा रही है. अब देखना यह होगा कि अगले चुनावों में कौन सी पार्टी ‘प्यार’ और ‘धोखा’ का खेल खेलेगी, क्योंकि महिषी का राजनीतिक खेल अब किसी फिल्म से कम नहीं!
जेडीयू का ‘सुपर’ कनेक्शन, आरजेडी को धक्का
2020 के चुनाव में जेडीयू के उम्मीदवार गुंजेश्वर शाह ने आरजेडी के उम्मीदवार गौतम कृष्ण को महज 1,630 वोटों के अंतर से हराया. इस परिणाम ने बिहार की राजनीति में धूम मचा दी, क्योंकि इस सीट पर पिछले कुछ चुनावों से आरजेडी का दबदबा था. 2020 में जेडीयू ने ना केवल जीत हासिल की, बल्कि आरजेडी के गढ़ में सेंध भी लगाई. गुंजेश्वर शाह की जीत ने यह साबित किया कि जेडीयू की राजनीति अब सिर्फ पारंपरिक वोटरों तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि यह युवाओं और मध्यम वर्ग के बीच भी अपनी पहचान बना चुकी है. वहीं, गौतम कृष्ण की हार ने आरजेडी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि कहीं उनके लिए पुरानी रणनीतियां अब काम नहीं आ रही हैं.
‘राजनीतिक टेंशन’ और वोटर्स का दिल
महिषी विधानसभा का चुनावी इतिहास बहुत दिलचस्प है. 2020 में जेडीयू और आरजेडी के बीच मुकाबला बिल्कुल छिछला नहीं था. आरजेडी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन जेडीयू के ‘नया चेहरा’ ने सबका ध्यान खींच लिया। इस चुनाव में युवा और पुराने वोटरों का मिक्स वोट बैंक जेडीयू के पक्ष में गया, जबकि आरजेडी को अपने पुराने गढ़ में ही कड़ी चुनौती मिली.
पिछले तीन चुनावों का कॉकटेल
महिषी विधानसभा सीट ने पिछले तीन चुनावों में अपने रंग दिखाए हैं. 2020 में जेडीयू ने जीत हासिल की, जबकि 2015 और 2010 में आरजेडी ने लगातार दो बार इस सीट पर विजय प्राप्त की थी. इन तीन चुनावों में हर बार जीतने वाली पार्टी ने चुनावी रणनीति में बदलाव किया है, जो बताता है कि बिहार की राजनीति में किसी भी पार्टी के लिए जीत पाना अब आसान नहीं रहा.
अंत में
महिषी विधानसभा की यह रोमांचक कहानी दिखाती है कि बिहार की राजनीति में कुछ भी तय नहीं है. यहां के चुनावी परिणाम सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि सियासी चेहरे, रणनीतियां और भविष्य की दिशा भी तय करते हैं. और अगर 2020 का चुनाव कुछ सिखा गया तो वह यह कि हर चुनाव एक नई कहानी लिखता है, और महिषी की सीट इस कहानी का अहम हिस्सा बन चुकी है.
महिषी विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास
- 1967: संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार पी कुमार ने पहली बार इस सीट से जीत दर्ज की.
- 1969 और 1972: जनता पार्टी के टिकट पर लहटन चौधरी ने लगातार दो बार जीत हासिल की.
- 1977: जनता पार्टी के परमेश्वर चौधरी ने इस सीट पर जीत दर्ज की.
- 1980 और 1985: कांग्रेस पार्टी के लहटन चौधरी ने फिर से जीत हासिल की.
- 1990: जनता दल के आनंद मोहन ने इस सीट पर विजय प्राप्त की.
- 1995: जनता दल के डॉ. अब्दुल गफूर ने इस सीट से जीत हासिल की.
- 2000: आरजेडी के डॉ. अब्दुल गफूर ने फिर से इस सीट पर जीत दर्ज की.
- 2005: निर्दलीय उम्मीदवार सुरेंद्र यादव ने इस सीट पर जीत हासिल की.
- 2010 और 2015: आरजेडी के डॉ. अब्दुल गफूर ने लगातार दो बार इस सीट से जीत दर्ज की.
- 2020: जेडीयू के गुंजेश्वर शाह ने आरजेडी के गौतम कृष्ण को 1,630 वोटों के अंतर से हराया.
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