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Ziradei: जहां राजनीति, अपराध और इतिहास टकराते हैं, 2025 में दिलचस्प चुनावी जंग तय

Ziradei Vidhan Sabha Chunav 2025 : जीरादेई, भारतीय राजनीति में अपनी विशेष पहचान रखता है. यह केवल राजनीतिक रूप से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. जैसे-जैसे 2025 का विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है, सीवान जिले का कस्बा जीरादेई खास चर्चा में है, जो न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण है.

Ziradei Vidhan Sabha Chunav 2025 : बिहार का जिरादेई विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है. यह भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली है, वहीं नटवरलाल जैसी चर्चित शख्सियत और शहाबुद्दीन जैसे विवादित नेता भी यहीं से जुड़े रहे हैं. पिछले दो दशकों में यहां की सीट किसी भी पार्टी के पास स्थायी नहीं रही.

डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली

जिरादेई भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि है. उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को हुआ था. वे एकमात्र ऐसे राष्ट्रपति रहे हैं जिन्होंने दो कार्यकालों तक सेवा दी और कुल 12 वर्षों तक इस पद पर बने रहे. वे 1946 में संविधान सभा के निर्वाचित अध्यक्ष भी थे. डॉ. प्रसाद का राजनीतिक और शैक्षणिक योगदान भारतीय इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.

नटवरलाल: ठगी की दुनिया की किंवदंती

मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव, जिन्हें पूरी दुनिया नटवरलाल के नाम से जानती है, का जन्म हुआ था. दिलचस्प रूप से, डॉ. प्रसाद और नटवरलाल दोनों मध्यमवर्गीय कायस्थ परिवारों से आते थे और दोनों ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की थी. जहाँ डॉ. प्रसाद ने राष्ट्र निर्माण की राह चुनी, वहीं नटवरलाल ने ठगी की दुनिया में नाम कमाया. संसद भवन, ताजमहल और लाल किला जैसे स्मारकों को ‘बेचने’ की कहानियाँ उन्हें एक किंवदंती बनाती हैं.

राजनीति और अपराध का संगम जीरादेई: मोहम्मद शहाबुद्दीन

मोहम्मद शहाबुद्दीन, जो बाद में राजनीति में आए, जीरादेई से दो बार विधायक चुने गए. वे 1990 और 1995 में जीत दर्ज कर विधानसभा पहुँचे और फिर 1996 से 2009 तक लगातार चार बार सीवान से लोकसभा सांसद रहे. उनका नाम राजनीति और अपराध के गठजोड़ का प्रतीक बन गया. लालू यादव के शासनकाल में उन्हें ‘जंगल राज’ का चेहरा माना गया. 2021 में COVID-19 के दौरान दिल्ली में उनकी मृत्यु हो गई.

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बदले राजनीतिक समीकरण: माओवाद और जातिगत संतुलन

शहाबुद्दीन का दावा था कि उन्हें क्षेत्र के उच्च जाति के हिंदुओं का समर्थन प्राप्त था, जो माओवादियों के प्रभाव का विरोध करना चाहते थे. इस बात की पुष्टि तब हुई जब सीपीआई(एमएल) नेता अमरजीत कुशवाहा ने 2020 में 25,000 से अधिक वोटों से जीत दर्ज की. यह जीत माओवादी आंदोलन और जातीय राजनीति के बीच एक नए समीकरण को दर्शाती है.

जिरादेई विधानसभा: ऐतिहासिक और चुनावी प्रोफाइल

1957 में स्थापित, जिरादेई विधानसभा क्षेत्र में जिरादेई, नौतन और मैरवा प्रखंड शामिल हैं. यह सीवान लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक 17 बार विधायक चुने जा चुके हैं, जिनमें कांग्रेस ने पांच बार जीत दर्ज की, लेकिन 1985 के बाद से वह सीट नहीं जीत पाई. इसके अलावा जनता दल, जद (यू), राजद ने दो-दो बार जीत दर्ज की, जबकि बीजेपी, सीपीआई(एमएल), जनता पार्टी और स्वतंत्र पार्टी को एक-एक बार सफलता मिली.

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और शोधकर्ता . लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . हिंदी अखबारों और पत्रिकाओं में नियमित लेखन . यूथ की आवाज़, वूमेन्स वेब आदि में लेख प्रकाशित.

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