23.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bob Biswas Movie Review: बॉब विश्वास के सशक्त किरदार के साथ ये कमज़ोर कहानी न्याय नहीं कर पाती…

बॉब विश्वास का किरदार जितना सशक्त था इस थ्रिलर फ़िल्म की कहानी और पटकथा उतनी ही कमज़ोर रह गयी है. जिस वजह से यह फ़िल्म बॉब विश्वास के किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाती है.

फ़िल्म -बॉब विश्वास

निर्माता-रेड चिलीज़

निर्देशक-दिया अन्नापूर्णा घोष

प्लेटफार्म- ज़ी फाइव

कलाकार- अभिषेक बच्चन, चित्रांगदा सिंह, परन बंधोपाध्याय

रेटिंग दो

2012 में रिलीज हुई निर्देशक सुजॉय घोष की सफलतम थ्रिलर फ़िल्म कहानी कई खूबियों की वजह आज भी याद की जाती है. फ़िल्म की कई खूबियों में एक बॉब विश्वास का किरदार भी था. जिसने खूब सुर्खियां बटोरी थी. यह कॉन्ट्रैक्ट किलर किसी भी मर्डर को करने से पहले नोमोस्कार आमी बॉब विश्वास बोलता था. वो जिस सहजता से लोगों का मर्डर करता था. वही दर्शकों में सिहरन पैदा कर जाता था. इसी किरदार को विस्तार देते हुए फ़िल्म बॉब विश्वास की रचना की गयी है. ज़ी 5 की फ़िल्म कहानी का स्पिन ऑफ है. बॉब विश्वास का किरदार जितना सशक्त था इस थ्रिलर फ़िल्म की कहानी और पटकथा उतनी ही कमज़ोर रह गयी है. जिस वजह से यह फ़िल्म बॉब विश्वास के किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाती है.

फ़िल्म की कहानी एक अस्पताल से शुरू होती है. जहां बॉब विश्वास ( अभिषेक बच्चन) का किरदार 5 साल के बाद कोमा से होश में आया है लेकिन उसकी यादाश्त चली गयी है. उसे अपनी पिछली ज़िन्दगी से कुछ याद नहीं है. डॉक्टर उसे बताते हैं कि उसकी एक बीवी ( चित्रांगदा सिंह)और एक बेटा है. वह अपने घर लौटता है और कॉन्ट्रैक्ट किलर की ज़िंदगी भी उसे साथ साथ जीनी पड़ती है. वह स्पेशल क्राइम ब्रांच के लिए लोगों का मर्डर करता है. उसे अपराध बोध का एहसास होता है. वह इनसब को छोड़कर अपने परिवार के साथ एक नयी ज़िन्दगी जीना चाहता है लेकिन अपराध की परछाइयां कहाँ पीछा छोड़ती है. कहानी के दूसरे सिरे में कोलकाता शहर में बच्चों के बीच फैलता ड्रग्स का जाल भी है. ड्रग्स माफियों की वजह से बॉब विश्वास की ज़िंदगी क्या मोड़ लेती है. यही आगे की कहानी है.

फ़िल्म की कहानी शुरुआत में उम्मीद जगाती है लेकिन जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ती है. फ़िल्म एक आम फार्मूला फ़िल्म बनकर रह जाती है. यह फ़िल्म एक क्राइम थ्रिलर है लेकिन दो घंटे की फ़िल्म में इक्का दुक्का सीन्स ही है जो थ्रिलर जॉनर का बखूबी एहसास करवा पाते हैं. फ़िल्म कई सवालों के जवाब भी नहीं देती है. बॉब विश्वास कॉन्ट्रैक्ट किलर कैसे बना था. उसका वह एक्सीडेंट क्यों हुआ था. ब्लू ड्रग्स के लिए बैन मेडिसिन का इस्तेमाल हुआ है. उसका भी जिक्र सिर्फ फ़िल्म के एक दृश्य में ही रह गया था. फ़िल्म में डॉक्टर अंकल का बार बार जिक्र किया गया है लेकिन फ़िल्म के क्लाइमेक्स में उसे जिस तरह से दिखाया है.वह कमज़ोर क्लाइमेक्स को और कमज़ोर कर गया है.

Also Read: Bob Biswas Movie Review: इमोशन, सस्पेंस से भरपूर है ये फिल्म, अभिषेक बच्चन सुपारी किलर के रोल में खूब जमे

अभिनय की बात करें तो अभिषेक बच्चन ने बॉब विश्वास के किरदार के लिए बहुत मेहनत की है लेकिन परदे पर वह प्रभावी नहीं बन पाया है. यह कहानी और स्क्रीनप्ले की कमज़ोरी कह सकते हैं लेकिन फ़िल्म में कुछ समय के बाद अभिषेक खुद को दोहराते नज़र आए हैं. उनके किरदार में शेड्स की कमी है. चित्रांगदा सिंह को फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था लेकिन परदे पर एक अरसे बाद उनको देखना सुखद था. अभिनय में जो याद रह जाते हैं वो परम बंधोपाध्याय हैं. काली बाबू के किरदार में उन्होंने शानदार काम किया है. पाबित्रा राभा धोनू के किरदार में छाप छोड़ते हैं. बाकी के किरदार में टीना देसाई, समारा और पूरब कोहली भी अपनी भूमिका के साथ न्याय करते हैं. फ़िल्म की कहानी में एक अहम किरदार कोलकाता शहर भी है. जो इस फ़िल्म को रोचक बनाता है. फ़िल्म के संवाद और गीत संगीत कहानी के अनुरूप हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel