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Chalti Rahe Zindagi Movie Review:दिल को नहीं छू पाती है इस लॉकडाउन ड्रामा की कहानी

chalti rahe zindagi फिल्म कोरोना की त्रासदी को सामने लेकर आती हैं. कोरोना की त्रासदी को सशक्त तरीके से पेश कर पायी है या चूक गयी है. जानते हैं इस रिव्यु में 

फिल्म -chalti rahe zindagi

निर्देशक – आरती एस बागड़ी 

निर्माता -लवली वर्ल्ड एंटरटेनमेंट फिल्म्स  

कलाकार – बरखा बिष्ट, इंद्रनील सेनगुप्ता, मंजरी फडणवीस,सीमा विश्वास,फ़्लोरा जैकब,रोहित खंडेलवाल, सिद्धांत कपूर और अन्य 

प्लेटफार्म -जी 5

रेटिंग -दो 


आजाद भारत की सबसे बड़ी त्रासदी कोरोना महामारी और उसके साथ हुए लॉकडाउन को माना जाता है. शायद यही वजह है कि चार साल बीत जाने के बाद भी इस विषय पर फिल्मों का आना थमा नहीं है.कोरोना और लॉकडाउन को लेकर हर वर्ग  के अपने – अपने अनुभव रहे हैं,जिन्हें फिल्मकारों ने अपने ढंग से कहानियों में पिरोकर बयां किया है.इसी फेहरिस्त में  जी 5 की फिल्म चलती रहे जिंदगी का नाम भी जुड़ गया है, लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले बहुत ही सतही रह गया है.जिस वजह से यह फिल्म प्रभाव छोड़ने में चूक गयी है.यह एंथलॉजी फिल्म लॉकडाउन के दर्द , डर और संघर्ष को उस तरह से परदे पर नहीं ला पायी है, जो इस विषय की फिल्म की सबसे बड़ी जरुरत थी.

 लॉकडाउन के दौर की है कहानियां

फिल्म की कहानी की बात करें तो कहानी की एक सोसाइटी में  ब्रेड , बिस्किट बेचने वाले कृष्णा (सिद्धांत कपूर ) से शुरू होती है. जिसके जरिये फिल्म एक के बाद एक तीन घरों की कहानी को सामने आती है. लॉक डाउन की घोषणा होती है और मालूम पड़ता है कि अरु (बरखा बिष्ट ) के पति गौरव का अफेयर बिल्डिंग में नए शिफ्ट हुए अर्जुन (इंद्रनील सेनगुप्ता )की पत्नी से हैं. इसके बाद अरु और अर्जुन का क्या फैसला होगा. यही आगे की कहानी है.दूसरी कहानी एक टीवी एंकर आकाश (रोहित खंडेलवाल )की है. उसके शो को चैनल में सबसे कम व्यूज मिल रहे हैं.  अपने काम को लेकर वह परेशान है , इसी बीच वह अपनी मां (फ़्लोरा जैकब )पर दबाव बनाता है कि कृष्णा को कई महीने पहले 50 हज़ार रुपये जो उधार दिए थे. वो मांग लें.  कृष्णा गरीब तबके से है.लॉकडाउन की वजह से खाने के लाले हैं ,इतने पैसे कैसे वापस कर पाएगा , लेकिन वह ईमानदार है.वह अपने परिवार के साथ गांव जाकर अपनी जमीन बेचकर पैसों का इंतजाम करने के लिए निकलता है , लेकिन ट्रेन की चपेट में आने से उसकी मौत हो जाती है. कृष्णा की मौत क्या आकाश को झकझोरेगी. यह कहानी उसकी ही पड़ताल करती है.तीसरी कहानी नैना (मंजरी फडणवीस )की है , जो कोरोना महामारी में अपनी १० साल की बेटी को और ७० साल की सास लीला (सीमा बिस्वास )की खींचतान के बीच फंसी है.बेटी बचपने में मास्क और सेंटाइजिंग को इतना महत्व नहीं देती है ,जबकि सास को ओसीडी की परेशानी है और वह एक छींक आने पर भी पूरा घर सिर  पर उठा लेती है. उसे डर है कि कोरोना में उसकी मौत ना हो जाए, जिस वजह से वह अपनी बहू नैना को परेशान करती रहती है. नैना के पति की मौत हो चुकी है. पूरे घर की जिम्मेदारी उसी पर है.कोरोना के मुश्किल वक़्त में किस तरह से वह अपने परिवार को संभालती है. यह कहानी यही दिखाती है.  

फिल्म की खूबियां और खामियां 

लॉक डाउन में एंथलॉजी फिल्मों को बढ़ावा दिया था,तो लॉकडाउन की इस कहानी को भी एंथलॉजी फिल्म के जरिये ही कहा गया है.फिल्म में तीन कहानियां है. सभी का अपना संघर्ष और जद्दोजहद है,लेकिन स्क्रीनप्ले इतना साधारण रह गया है कि कुछ भी आपके दिल को छूता नहीं है. मंजरी फडणवीस के किरदार नैना  को फर्श पर गिरा देखकर उनकी 70 वर्षीय सास लीला का का अचानक से ह्रदय परिवर्तन अखरता है.फिल्म के संवाद भी बहुत सतही रह गए हैं.लॉकडाउन पर अब तक कई फिल्में और सीरीज बन चुकी हैं. एंथोलॉजी की पहली कहानी के कांसेप्ट को छोड़ दें तो बाकी की कहानियां ऐसा कुछ अलग पहलू को सामने नहीं ला पायी हैं , जो पहले देखा ना हो. फिल्म के शुरुआत में ही इस बात का जिक्र किया गया है कि फिल्म को महामारी के बीच ही ज्यादातर शूट किया गया है , जिस वजह से यह बात समझ सकते हैं कि सीमित संसाधनों में फिल्म की शूटिंग हुई है. यही वजह है फिल्म के कई दृश्यों में दोहराव है.फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप हैं.

कलाकारों का सधा हुआ अभिनय

इस एंथोलॉजी फिल्म की यूएसपी इसके कलाकार हैं. फिल्म में अभिनय के कई मंझे हुए नाम शामिल है.यही वजह है कि कमजोर कहानी के बावजूद ये कलाकारों की मौजूदगी ने फिल्म को संभाला है.बरखा ,इंद्रनील,सिद्धांत, सीमा बिस्वास और फ़्लोरा जैकब इन कलाकारों ने  अपनी – अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है,लेकिन स्क्रिप्ट में कुछ खास ना होने की वजह से कुछ भी सीन प्रभावी तौर पर सामने नहीं आ पाया है.फिल्म में बरखा और इंद्रनील की बेटी भी अभिनय करती नजर आयी हैं. 

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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