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Khel Khel Mein Movie Review:इस मजेदार फिल्म से अक्षय कुमार की कॉमेडी में जबरदस्त हुई है वापसी 

khel khel mein ने आज सिनेमाघरों में दस्तक दे दिया है. अक्षय कुमार स्टारर यह खेल एंटरटेनिंग है या बोझिल है. जानिये इस रिव्यु में

फिल्म – खेल खेल में 

निर्देशक- मुदस्सर अज़ीज़

निर्माता- टी सीरीज

कलाकार- अक्षय कुमार,वाणी कपूर,फ़रदीन ख़ान,एमी विक्र,तापसी पन्नू,प्रज्ञा जैसवाल,आदित्य सील और अन्य

प्लेटफार्म- सिनेमाघर

रेटिंग- तीन
khel khel mein अक्षय कुमार की इस साल रिलीज हुई तीसरी फिल्म है. ख़ास बात है कि यह फिल्म भी रीमेक ही है,लेकिन इस बार साउथ की नहीं बल्कि इटालियन फिल्म परफेक्ट स्ट्रेंजर्स की यह हिन्दी रिमेक है,जिसके दर्जनों रीमेक देश और विदेश में बन चुके हैं,तो अपने रीमेक कुमार भला कैसे पीछे रहने वाले थे. इस बार फिल्म के निर्देशन की जिम्मेदारी मुदस्सर अजीज को मिली है,जिनका ट्रैक रिकॉर्ड कॉमेडी में हैप्पी भाग जाएगी और पति पत्नी और वो में अच्छा रहा है और उनका यह ट्रैक रिकॉर्ड अक्षय कुमार की इस फिल्म में भी काम कर गया है .यह फ़िल्म शुरू से अंत तक आपको एंटरटेन करती है.रिश्तों की यह कहानी रिश्तों पर कोई प्रभावी बात नहीं करती है ,बस छूकर निकल जाती है लेकिन एंटरटेनमेंट भरपूर है.फिल्म के संवाद और इसके कलाकार खासकर अक्षय कुमार इसकी यूएसपी हैं.

ढेर सारी कॉमेडी और थोड़े से इमोशन के साथ बुनी गयी है रिश्तों की यह कहानी

फिल्म की कहानी की बात करें तो यह अक्षय कुमार ( ऋषभ वशिष्ठ ) से शुरू होती है. फिल्म के पहले ही सीन में दिखाया जाता है कि वह चार्मर है और झूठ बोलने में बेहद माहिर है और अक्षय का किरदार चित्रांगदा के किरदार को बताते हुए दर्शकों को यह बता देता है कि उसकी साली की शादी के लिए उसे जयपुर जाना है . अगर वह वहां नहीं पहुंचा तो उसकी बीवी वर्तिका(वाणी कपूर) ही नहीं बल्कि उसके दोस्त भी उसे ताने मार- मार कर  पूरी ज़िंदगी जीने नहीं देंगे.ऋषभ के दोस्तों की ज़िंदगी में थोड़ी ताका झांकी के बाद जयपुर के डेस्टिनेशन वेडिंग पर कहानी पहुंच जाती है .ऋषभ ,उसकी पत्नी और उसके दोस्त ( जिसमें से तीन कपल है और एक सिंगल) रूम में साथ में चिल करने के इरादे से पहुंचते हैं ,लेकिन वहां एक खेल शुरू हो जाता है कि सभी लोग अपना फ़ोन टेबल पर रखेंगे .उस दौरान आनेवाले फोन कॉल्स और मैसेज का जवाब सभी के सामने देंगे.हर बात सभी के सामने होगी. शुरुआत में सभी के पति इस खेल को खेलने से इनकार कर देते हैं लेकिन पत्नियों की वजह से सभी को इस खेल से जुड़ना पड़ता है ,लेकिन यह खेल इनको अपने पार्टनर्स और दोस्तों की ज़िंदगी और रिश्तों की एक अलग ही सच्चाई से रूबरू करवाता है.क्या यह खेल उनकी ज़िंदगी बर्बाद कर देगा या रिश्तों के प्रति एक अलग नजरिया देगा. इसके लिए आपको यह फ़िल्म देखनी होगी .


फ़िल्म की खूबियां और खामियां

इटालियन फिल्म के इस हिन्दी रीमेक का विषय बहुत ही सामयिक है क्योंकि हम सब की दुनिया फोन है . एक व्हाट्सएप जोक भी है कि हम कितने अच्छे हैं. यह हमारा फोन जानता है.इस फिल्म में ऐसे ही सात दोस्तों के फोन के जरिए उनके रिश्ते के सच को लाया गया है. फ़िल्म समलैंगिक को समाज में एक नज़रिए से देखने पर चोट करती है. वर्क प्लेस पर महिलाओं का ही नहीं पुरुषों का भी शोषण होता है और परिवार के दबाव में शादी के मुद्दे को सामने लेकर आती है .जिसमें फ़िल्म किरदारों के बैक स्टोरी में भी जाती हैं. फ़िल्म में कुल मुख्य पात्र सात है,लेकिन सभी की कहानियाँ दिलचस्प नहीं है . इसके साथ ही यह पहलू भी है कि कोई भी कहानी ऐसी नहीं है ,जो पहले देखी या सुनी ना गई हो.फ़िल्म का ट्रीटमेंट टिपिकल इण्डियन फ़िल्म जैसे किया गया है .फ़िल्म के नायक का किरदार ग्रे या डार्क नहीं है. सभी व्हाइट है.अगर लाइफ में कुछ बुरा उन्होंने किया है,तो वह इसके ज़िम्मेदार भी वह नहीं है.स्क्रीनप्ले की इन  खामियों  के साथ साथ फिल्म इस सवाल का भी जवाब नहीं देती है कि आखिरकार अक्षय का किरदार वर्तिका का नाम लेने के बजाय अपनी पहली मरी हुई पत्नी का ही नाम क्यों दोहराता है . फिल्म को ऋषभ की इस सोच को भी दर्शाने की ज़रूरत थी .निर्देशक के तौर मुदस्सर से की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने इतनी बड़ी कास्ट को संभालते हुए अक्षय कुमार को शाइन करने का मौका दिया.फ़िल्म के संवाद ज़बरदस्त हैं .यह पूरी फिल्म के दौरान आपको हंसाते हैं और आप के एंटरटेनमेंट पर स्क्रीनप्ले की खामियों को हावी होने नहीं देते हैं. गीत संगीत की बात करें तो आजकल इस तरह का गीत संगीत हर दूसरी फ़िल्म में सुनने को मिलता है . फ़िल्म की सिनेमाटोग्राफ़ी कहानी में भव्यता जोड़ती है.बाक़ी के पहलू भी ठीक ठाक हैं .

अक्षय कुमार का अभिनय है फ़िल्म की यूएसपी

यह एक कॉमेडी फ़िल्म है और फ़िल्म में अक्षय कुमार हैं तो कॉमेडी का दारोमदार उनके मज़बूत कंधों पर होगा और उन्होंने इसे पूरी मज़बूती के साथ निभाया है. फ़िल्म के कई संवादों और सिचुएशन को वह अपनी मौजूदगी से मजेदार बना गये हैंफ़िल्म के भावनात्मक दृश्यों में भी वह छाप छोड़ गये हैं ख़ासकर अपनी बेटी को स्लीप ओवर पर समझाने वाले संवाद में. वाणी कपूर,प्रज्ञा जैसवाल और तापसी पन्नू ने भी अपने अभिनय से फ़िल्म की प्रभावी बनाया है. एमी विर्क कॉमेडी सीन्स की बहुत सहजता के साथ करते हैं.एक अरसे बाद फ़रदीन ख़ान बड़े पर्दे पर नज़र आये हैं . इमोशनल सीन में वह थोड़े चूक गये हैं . बाक़ी के किरदारों ने अपनी – अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है .


Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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