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jaat movie review :सनी देओल की एक्शन ड्रामा फिल्म जाट को ले डूबी कमजोर कहानी

आज रिलीज हुई सनी देओल की फिल्म जाट देखने की प्लानिंग कर रहे हैं, तो इससे पहले पढ़ लें यह रिव्यु

फिल्म – जाट 

निर्माता -टी जी विश्वप्रसाद ,नवीन एरनेनी और अन्य 

निर्देशक -गोपीचंद मलिनेनी

कलाकार – सनी देओल, रणदीप हुड्डा, विनीत कुमार,सैयामी खेर,जगतपति बाबू,रेजिना,सैयामी खेर राम्या कृष्णन, और अन्य 

प्लेटफार्म – सिनेमाघर

रेटिंग – दो 

jaat movie review :सिनेमाघरों में आज रिलीज हुई फिल्म जाट से अभिनेता सनी देओल ने साउथ की फिल्मों में अपनी शुरुआत की है. उनकी इस पैन इंडिया फिल्म में भी उनके हीमैन वाली इमेज पर ही पूरा दांव खेला गया है. फिल्म का जॉनर मसाला एंटरटेनर है, तो हमेशा की तरह एक सशक्त कहानी की जरूरत नहीं समझी गयी है. 80 के दशक की कहानी का फील लिए इस फिल्म में कुछ डायलॉग जोड़कर राइटिंग की खानापूर्ति कर दी गयी है. फिल्म में भर भर का एक्शन जोड़ा गया है,लेकिन सनी देओल का पावरपैक्ड एक्शन अवतार वाला परफॉरमेंस भी सशक्त कहानी की कमी की भरपाई नहीं कर पाया है, जिस वजह से जाट का जलवा परदे पर उस तरह से बवाल काट नहीं पाया है, जैसे दावे किये गए थे.कुलमिलाकर अगर आप सनी देओल के हार्डकोर फैन हैं और फिल्म की कहानी को अहमियत नहीं देते हैं, तो ही यह फिल्म आपका मनोरंजन कर पाएगी। 

जुल्मों से बचाने वाला मसीहा है जाट

फिल्म की कहानी की बात करें तो यह राणातुंगा (रणदीप हुड्डा )की कहानी है, जो मूल रूप से श्रीलंका से है , लेकिन वह अवैध ढंग से ना सिर्फ भारत के आंध्र प्रदेश में आ गया है बल्कि स्थानीय नेताओं और पुलिस की मदद से उसने आंध्रप्रदेश के 40 गांवों पर अपना कब्ज़ा भी कर लिया है क्योंकि इन गावों की मिटटी में यूरेनियम है और अंतरास्ट्रीय माफिया उसे राणातुंगा की मदद से पाना जाता है, लेकिन गांव में एक सनकी जाट (सनी देओल )की एंट्री हो जाती है, जो राणातुंगा के 15 साल पुराने रावण राज का खात्मा 10 घंटे में कर देता है.यह सब कैसे होता है. इसी कहानी को ढाई घंटे की इस फिल्म में दिखाया गया है.


फिल्म की खूबियां और खामियां 

सबसे पहले बात फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले की. फिल्म का पहला भाग सिर्फ सॉरी बुलवाने में खर्च कर दिया गया है. कहानी पूरी तरह से लापता है,फिर सेकेंड हाफ में कहानी में ढेर सारी बैकस्टोरीज डालकर परोस दी गयी है. टेररिरिस्ट और आर्मी एंगल भी कहानी भी जोड़ दिया गया है, जो कहानी को मजबूती देने के बजाय और कमजोर कर गया है.फिल्म के एक्शन सीक्वेंस में ह्यूमन बॉडी पार्ट सिर की धज्जियां उड़ायी गयी है और कहानी में लॉजिक की. राष्ट्रपति को शिकायती पत्र जाने के बाद राष्ट्रपति गांव वालों को इंसाफ दिलाने के लिए सीधे सीबीआई को भेजती है. मौजूदा दौर में इस तरह की गलतियां अखरती हैं. वैसे 80 के दशक वाली कहानी की याद दिला रही इस फिल्म में सीबीआई सबकुछ खत्म हो जाने के बाद फिल्म के अंत में ही पहुंचती है. फिल्म का गीत संगीत भी कहानी की तरह कोई प्रभाव नहीं छोड़ता है. सिनेमेटोग्राफी औसत है.फिल्म के अच्छे पहलुओं की बात करें तो इसका एक्शन है.फिल्म में भर भर का एक्शन सीक्वेंस है और फिल्म की यूएसपी वही है, हां नयेपन की थोड़ी कमी रह गयी है. पुलिस थाने में लटकी हुई लाशें फिल्म किल की याद दिलाता  है. जीप वाला सीन भी कई फिल्मों में दोहराया जा चुका है. ग़दर में हैंड पंप उखाड़ने के बाद इस फिल्म में सनी देओल से पंखे उखड़वाए गए हैं. फिल्म साउथ और नार्थ के मेल से बनी है. फिल्म में साउथ की भाषा को संवाद में  जोड़ा गया है, लेकिन हिंदी सब टाइटल को देने की जरुरत नहीं समझी गयी है. 

सनी की मौजूदगी फिल्म की एकमात्र खासियत

सनी देओल की चित परिचित इमेज को इस फिल्म में जमकर भुनाया गया है. उन्हें वन मैन आर्मी की तरह पेश किया गया है और सभी जानते हैं कि उसमें उनको महारत हासिल है.वह उम्र के इस पड़ाव में भी यह भरोसा स्क्रीन पर दिखाने में कामयाब हैं कि वह अकेले सौ पर भारी हैं. साथ ही डायलॉग बाजी भी उनके हिस्से आयी है. सनी देओल ही मौजूदगी ही एकमात्र फिल्म की खासियत है.रणदीप हुड्डा किरदारों में रच बस जाने के लिए जाने जाते हैं,लेकिन इस बार उनके कमजोर किरदार ने उन्हें कुछ खास करने का मौक़ा नहीं दिया है. हालांकि उनके किरदार की बोलचाल में साउथ का टच क्यों नहीं दिया गया है. यह बात मेकर ही बता सकते हैं, जबकि फिल्म में उनकी पत्नी बनी रेजिना ने जमकर साउथ की भाषा में संवाद बोला है. उन्होंने अपने नेगेटिव किरदार को बखूबी  निभाया भी है.विनीत कुमार अपनी नकारात्मक भूमिका में अच्छे रहे हैं, लेकिन उनसे और उम्मीदें थी, जो कमजोर कहानी ने पूरा होने नहीं दिया है .जगतपति बाबू, रम्या कृष्णनन , उपेंद्र लिमचे, सैयामी खेर सहित बाकी के किरदारों के लिए कुछ करने को खास नहीं था.

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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