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The Bhootnii : हंसाती और डराती नहीं माथा पीटने को करती है मजबूर

हॉरर कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं . तो भी इस फिल्म को देखने जाने से पहले पढ़ लें यह रिव्यु

फिल्म – द भूतनी

निर्देशक – सिद्धांत सचदेव 

कलाकार -संजय दत्त, मौनी रॉय,सनी सिंह, पलक तिवारी,आसिफ, निकुंज और अन्य 

प्लेटफार्म -सिनेमाघर

 रेटिंग – एक 

the bhootnii movie review :हॉरर कॉमेडी जॉनर बीते कुछ सालों से टिकट खिड़की पर सफलता की गारंटी बनता नजर आया है.इसी ट्रेंड को भुनाने की कोशिश द भूतनी के मेकर्स ने की है और वह पूरी तरह असफल हुए हैं. मेकर्स अब तक नहीं समझ पाए हैं कि संजय दत्त या किसी भी स्टार पावर से फिल्में नहीं चलती है.कहानी से फिल्में चलती है फिर चाहे जॉनर को भी हो और यही इस फिल्म से पूरी तरह से मिसिंग है, जिस वजह से यह हॉरर कॉमेडी फिल्म ना हंसाती है और ना ही डराती है बल्कि सिर पीटने को मजबूर करती है.

बेसिर पैर वाली है कहानी 

फिल्म की बेसिर पैर की कहानी की बात करें तो यह कॉलेज के कैंपस की कहानी है.इस कॉलेज के कैंपस में एक वर्जिन पेड़ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रेमियों को मिला देता है लेकिन इसी कैंपस में एक और वर्जिन  पेड़ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह शापित है. उसने कई स्टूडेंट्स की जान भी ली है, लेकिन इन बातों से अनजान स्टूडेंट शांतनु (सनी सिंह ) दिल टूटने पर उस पेड़ के पास पहुँच जाता है और सच्ची मोहब्बत की दुआ मांगता है.उसकी दुआ कुबूल हो जाती है और मोहब्बत की उसकी जिंदगी में एंट्री होती है लेकिन यह मोहब्बत और कोई नहीं बल्कि भूतनी है.जो अपने साथ शांतनु को ले जाना चाहती है. मोहब्बत सिर्फ शांतनु ही नहीं बल्कि पूरे कॉलेज को आफत में डाल देती है. इससे निजात दिलाने के लिए पैरानार्मल एक्सपर्ट बाबा (संजय दत्त )की एंट्री होती है, जो घोस्ट बस्टर के तौर पर काम करता है. कई बड़ी आत्माओं को उसने पल में भगाया है लेकिन उसे मालुम पड़ता है कि मोहब्बत कोई आम भूतनी नहीं है बल्कि उसमें बहुत पावर है. क्या वह शांतनु को बचा पायेगा.वर्जिन ट्री से मोहब्बत का क्या कनेक्शन है. यही आगे की घालमेल कहानी में दिखाया गया है.

फिल्म की खूबियां और खामियां 

फिल्म के निर्देशक सिद्धांत ने ही इस फिल्म की कहानी लिखी है. फिल्म में जमकर लूप होल्स है. कहानी कमजोर ही नहीं बल्कि उससे लॉजिक भी गायब हो गया है, कॉलेज की कहानी है और यहाँ पढाई छोड़कर बाकी सबकुछ हो रहा है.कहानी में पलक का ट्रैक अधपका सा है. अचानक से सनी सिंह को उससे प्यार हो जाता है. मोहब्बत के अतीत से बाबा का जुड़ा होना लेखन की कमजोरी को और ज्यादा हाईलाइट करता है. फिल्म में भगवान शिव और मां काली का रेफरेंस दिया गया है लेकिन वह भी प्रभावी नहीं बन पाया है.आसिफ  खान के वन लाइनर कुछ मौकों पर हँसाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन कमजोर कहानी और ट्रीटमेंट के बीच वह ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं.हॉरर जॉनर की फिल्म में वीएफएक्स बेहद अहम होता है लेकिन ये फिल्म यहां भी मात खाती है.वीडियो गेम जैसा फिल्म का वीएफएक्स रह गया है. गीत संगीत में भी मामला कमजोर ही रह गया है.मौनी रॉय का मेकअप भी अति साधारण रह गया है.

कमजोर स्क्रीनप्ले ने कलाकारों को भी किया कमजोर

अभिनय की बात करें तो संजय दत्त अपने पूरे स्वैग वाले अंदाज में नजर आये हैं,लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले उन्हें कुछ खास करने का मौक़ा नहीं देता है. सनी सिंह इस बार कॉमेडी में चूक गए हैं. पलक तिवारी अपनी पिछली फिल्म किसी का भाई किसी की जान से बेहतर अभिनय करती नजर आयी हैं, लेकिन उन्हें खुद पर और काम करना है. मौनी रॉय ने अपनी भूमिका के साथ न्याय किया है. आसिफ खान और निकुंज अपनी कॉमेडी से फिल्म को थोड़ी राहत देने की कोशिश करते हैं. 

Urmila Kori
Urmila Kori
I am an entertainment lifestyle journalist working for Prabhat Khabar for the last 12 years. Covering from live events to film press shows to taking interviews of celebrities and many more has been my forte. I am also doing a lot of feature-based stories on the industry on the basis of expert opinions from the insiders of the industry.

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