संजीव मिश्रा, देवघर . बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर से निकलने वाले पवित्र बेलपत्र और नीर के संरक्षण को लेकर प्रशासन ने कई योजनाएं बनायीं थीं, लेकिन ये योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमट कर रह गयी. न तो बेलपत्र से बनने वाली कंपोस्ट की व्यवस्था टिक सकी और न ही 50 लाख की लागत से बने नीर ट्रीटमेंट प्लांट का लाभ मंदिर को मिल पाया. मालूम हो कि पावर ग्रिड ऑफ इंडिया ने वर्ष 2016 से 2019 तक सीएसआर मद के तहत बाबा मंदिर परिसर की सफाई का जिम्मा लिया था.
इस दौरान कंपनी ने मंदिर को कई आधुनिक उपकरण दिये. मंदिर में भक्तों की सहूलियत के लिए दो बड़े डिजिटल स्क्रीन लगाये गये. वहीं, आस्था से जुड़े बेलपत्र को कचरे से बचाने के लिए मानसरोवर परिसर में कंपोस्ट मशीन लगायी गयी. एक साल तक इस मशीन से कंपोस्ट तैयार होता रहा, जिसे संस्था सुजानी उठा रही थी. लेकिन जैसे ही पावर ग्रिड ने काम छोड़ा, मशीन बंद हो गयी और बेलपत्र फिर से कचरे की तरह फेंके जाने लगे. अब नगर निगम इनका उठाव कराता है. इसी तरह बाबा मंदिर सहित अन्य मंदिरों से निकलने वाले नीर को नालों में बहने से रोकने के लिए तीन वर्ष पूर्व तत्कालीन डीसी मंजूनाथ भजंत्री की पहल पर मानसरोवर परिसर में 50 लाख रुपये की लागत से नीर ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया. प्लांट का ट्रायल तो हुआ, परंतु अब तक नियमित संचालन शुरू नहीं हो पाया. अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिये मंदिर से मानसरोवर तक नीर बहाने की व्यवस्था हुई. लेकिन काम नहीं होने के कारण पाईप जाम होता गया और पाइप में लीक होने से जगह-जगह पानी बाहर निकलने लगता है.योजनाएं तो बनीं पर धरातल पर कुछ नहीं
उस समय के डीसी मंजूनाथ भजंत्री ने योजना बनायी थी कि शुद्ध नीर को ब्रांड के रूप में भक्तों को प्रसाद स्वरूप दिया जायेगा. वहीं बेलपत्र से कंपोस्ट बनाकर स्वयं सहायता समूहों को जोड़ते हुए सुगंधित अगरबत्ती बनाने की योजना थी. इससे स्थानीय युवाओं और महिलाओं को रोजगार देने की भी योजना बनायी गयी थी. लेकिन सारी योजनाएं आज भी अधूरी पड़ी हैं. न मशीन काम कर रही है, न प्लांट चालू है और न ही रोजगार से कोई जुड़ पाया है. भक्तों की आस्था से जुड़ा बेलपत्र और पवित्र नीर आज भी उसी हाल में हैं, जैसे वर्षों पहले थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है