निषिद्ध मालवीय, जसीडीह. देवघर प्रखंड के कोकरीबाक गांव में कई बार दिशोम गुरु शिबू सोरेन आये थे. शिबू सोरेन 1973 में अपने आंदोलन के साथी गांव के श्यामलाल सोरेन के घर में 15 दिनों तक रुके भी थे. इसके बाद वे 1989 में यहां पहुंचे थे. श्यामलाल सोरेन ने बताया कि शिबू सोरेन के साथ रह कर झारखंड आंदोलन की लड़ाई लड़ते थे और गांव-गांव में जाकर लोगों को आंदोलन के लिए तैयार करते थे. श्यामलाल ने बताया कि 1973 में शिबू सोरेन उनके घर पर 15 दिनों तक रुके थे. बताया कि उनकी पत्नी मूंगफली मरांडी के बनाये खाने को परिवार के साथ बैठ कर बड़े चाव से खाना खाते थे. वहीं सुबह से शाम तक गांवों में घूम-घूमकर संगठन के लिए सदस्य बनाते थे. उनके आने की सूचना पर आसपास के गांव से सैकड़ों लोग जमा हो जाते थे, जिनसे वे झारखंड अलग राज्य बनाने की चर्चा करते थे. जब भी उनकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी करते थी, तो वे कोकरीबांक पहुंचते थे और बगल के डिगरिया पहाड़ के जंगल में छुप कर रहते थे. श्यामलाल ने बताया कि आंदोलन के दिनों में कई रातें इस जंगल में बितायी थी. बताया कि उस समय गांवों में सड़कें भी उस तरह से नहीं थी. अलग राज्य के अलावा ग्रामीणों को होने वाली समस्याओं को भी सुनते थे. एक बार जीप लेकर गांव पहुंचे थे और उनकी जीप बगल के नदी में फंस गयी थी. इसके बाद खुद से जीप चलाकर ग्रामीणों की मदद से काफी मशक्कत से वाहन को निकाला था. उसी दौरान महाजनों ने कर्ज लेने वाले गरीब किसानों की जमीन पर भी कब्जा कर लिया था. लोगों को खाने में दिक्कत होने लगी थी. इसकी जानकारी मिलने पर शिबू सोरेन ने इलाके में आकर महाजनों के खिलाफ रणनीति तैयार करने पहुंचते थे और लोगों को महाजनों के चुंगल से बचाते थे. पहली बार सांसद का चुनाव जीतने के बाद जसीडीह पहुंचे और कोकरीबांक के साथियों से मुलाकात की थी..
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