दलाही. भारी बारिश की वजह से मसलिया प्रखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के गांव बास्कीडीह के रागदापाड़ा टोला और बनगढ़ी फतेहपुर के बीच शिला नदी पर बना उच्चस्तरीय पुल धंस गया है. दो-तीन दिनों में हुई मूसलधर बारिश को यह पुल सहन नहीं कर पाया और इसका एक पीयर लगभग एक फीट धंस गया है. इससे पुल पर से आवागमन करनेवालों को डर सता रहा है. बास्कीडीह टोला रागदापाड़ा के ग्राम प्रधान निमाई मंडल के अनुसार भारी वाहन गुजरने में जोखिम भरा हो सकता है. कभी भी पुल गिर सकता है. मसलिया के पूर्व जिला परिषद सदस्य सुरेश बास्की ने बताया कि पुल का निर्माण पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मंडा के कार्यकाल में वर्ष 2004-05 में हुआ था. बता दें कि शिला नदी पर बने इस पुल के साथ-साथ ही सुग्गापहाड़ी में भी पुल का निर्माण हुआ था. दोनों ही पुल का निर्माण एक ही टेंडर से हुआ था और एक ही संवेदक कंपनी ने उसका निर्माण कराया था. सुग्गापहाड़ी वाला पुल भी इसी तरह से धंस गया था, जिसे विभागीय अभियंताओं ने तकनीकी एक्सपर्ट की मदद लेकर जैक लगवाकर उठवाया था और उसके धंसे हुए पीयर को दुरुस्त कराया था, जिसके बाद सुग्गापहाड़ी पुल पर से आवागमन बहाल हो पाया था. जानकारों की मानें तो पहले कंस्ट्रक्शन कंपनी अपना डिजाइन बनाकर पुल का टेंडर डालती थी, इसलिए उस वक्त के कई पुल धंस गये थे. जानकारों की मानें तो इस पुल का एक पीयर शुरुआती दौर से ही सात-आठ इंच धंसा हुआ था, जिसका अहसास आवाजाही करनेवालों को नहीं होता था, पर बीते दो दिनों की बारिश ने तीसरे नंबर के पीयर को प्रभावित किया और यहां यह पुल लगभग एक-सवा फुट तक धंस गया है.
पुल की नहीं हुई मरम्मत, तो 15 किमी अतिरिक्त दूरी करनी पड़ेगी तय
शिला नदी पर बना यह दो दशक पुराना पुल मुख्य रूप से जामताड़ा जिला और दुमका सहित देवघर जिला को जोड़ती है. पुल के क्षतिग्रस्त होने से लोगों में काफी गहरा असर पड़ेगा. फतेहपुर से चितरा कोलियरी,मधुपुर,देवघर व मसलिया के पश्चिमी क्षेत्र सहित अन्य जगहों को पहुंचने के लिए लगभग 15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय करना पड़ेगा.
पुल के टूटने से सब्जी की दामो में होगी वृद्धि :
ज्यादातर हरी सब्जियों का उत्पादन मसलिया के पश्चिमी क्षेत्र के बास्कीडीह, आस्तजोड़ा, बरमसिया, कापसियो, चांदनीचौक, गाड़ापाथर आदि गांव में होता है, जहां के किसानों को लंबी दूरी तय करके फतेहपुर बाजार लाना पड़ेगा. इससे वस्तुओं की कीमत प्रभावित होगी. परेशानी बढ़ेगी, सो अलग.
पैसेंजर वाहन नहीं चलने पर राहगीरों को होगी परेशानी :
देवघर, मधुपुर, गिरिडीह जाने के लिए पालाजोड़ी होकर घूमना पड़ेगा.जो ज्यादा समय के साथ साथ ज्यादा खर्चीला भी है. ज्यादातर लोगों की मानें तो पीयर के सामने से ज्यादा बालू का उठाव, डिजाइन में खामी या निर्माण के दौरान इंजीनियरों की लापरवाही का नतीजा यह हो सकता है.
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