मुसाबनी. मुसाबनी उप डाकघर मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. उप डाकघर में भवन, बिजली, शौचालय, कर्मियों की कमी समेत कई समस्याएं हैं. करीब छह दशक पूर्व कंपनी द्वारा आवंटित भवन में मुसाबनी पोस्ट ऑफिस का संचालन होता आ रहा है. कंपनी के बंद होने के बाद भवन मरम्मत के अभाव में जर्जर हो गया है. बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है. पोस्ट ऑफिस के बरामदे में लगे टीन के उपर का खपड़ा गिर रहा है. खदानों की बंदी के बाद एचसीएल ने मुसाबनी टाउनशिप का हस्तांतरण 2005 में झारखंड सरकार को कर दिया है. इसके साथ ही एचसीएल मुसाबनी टाउनशिप के रखरखाव की जिम्मेदारी से मुक्त हो गया है. डाक विभाग मुसाबनी उप डाकघर के भवन की मरम्मति के लिए राज्य सरकार के संबंधित अधिकारी से एनओसी की मांग कर रहा है. एनओसी नहीं मिलने के कारण डाक विभाग द्वारा भवन की मरम्मत नहीं करायी गयी है.
सात साल से खराब है जनरेटर: मुसाबनी उप डाकघर का जनरेटर 2018 से खराब पड़ा है. बिजली गुल होने पर डाकघर का कामकाज ठप हो जाता है. इस डाकधर का शौचालय भी जर्जर है. दरवाजे टूटे हैं.मुसाबनी उप डाकघर के अधीन करीब दो दर्जन शाखा डाकघर
मुसाबनी उप डाकघर के अधीन मुसाबनी तथा डुमरिया प्रखंड के करीब दो दर्जन शाखा डाकघर हैं. उपडाकघर मुसाबनी में बिजली नहीं रहने के कारण शाखा डाकघरों की व्यवस्था प्रभावित हो जाती है. कंप्यूटर समेत अन्य आवश्यक उपकरणों को प्लास्टिक से ढंककर बचाया जाता है.मुसाबनी डाकघर एचसीएल की खदानों की बंदी के बाद असमय नौकरी गंवाने वाले पूर्व कर्मियों ने कंपनी से मिली रकम को पोस्ट ऑफिस में जमा करा कर मासिक ब्याज लेकर परिवार चलाते हैं. डाकघर में बदहाली का खमियाजा पूर्व कर्मियों एवं उनके परिवारों को उठाना पड़ता है. समय पर मासिक ब्याज का भुगतान नहीं होने से परिवार चलाने में परेशानी होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है