ओबीसी के हक व अधिकार को लेकर राजभवन के समक्ष कांग्रेस का धरना छह अगस्त को.
वरीय संवाददाता, रांची
कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि आजादी के समय यदि भाजपा का शासन होता, तो पिछड़ा, दलित, आदिवासी और वंचित समाज के लिए संविधान में आरक्षण और उनके मूल अधिकार का समावेश नहीं होता. उन्होंने कांग्रेस भवन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उक्त बातें कही.
उन्होंने मोदी सरकार पर झारखंड में आरक्षण में वृद्धि से संबंधित विधेयक को लटकाने का आरोप लगाया. कहा : झारखंड में लगभग 55 प्रतिशत और पूरे देश में 52 प्रतिशत आबादी पिछड़ों की है. संविधान में भी स्पष्ट रूप से पिछड़ों को शैक्षणिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से संबल बनाने के लिए आरक्षण का प्रावधान है. कांग्रेस ने मल्लिकार्जुन खरगे एवं राहुल गांधी के नेतृत्व में जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी को लेकर वंचित समाज को हक दिलाने के लिए संघर्ष छेड़ा है. उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है, जब 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा हटायी जाये. 1993 में तमिलनाडु की सरकार ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ते हुए 69 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की. केंद्र में नरसिम्हा राव के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार ने 1994 में 76वां संविधान संशोधन कर उसे नौवीं अनुसूची में डाला तथा उसे कानून का रूप दिया. आज 10 प्रतिशत इडब्ल्यूएस आरक्षण को मिलाकर तमिलनाडु में 79 प्रतिशत आरक्षण है. उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब भारत सरकार 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा को तोड़ कर इडब्ल्यूएस को आरक्षण दे सकती है, तो जिसकी आबादी 50 से 60 प्रतिशत के बीच है, उसके लिए सीमा क्यों नहीं तोड़ी जा सकती है. झारखंड में भी दो वर्ष पहले दो-दो बार विधानसभा से सर्वसम्मति से पारित करा कर इस आरक्षण को तोड़ा गया, लेकिन पहले राजभवन इस पर चुप था और अब केंद्र चुप है. हमारे संघर्ष की पहली लड़ाई राजभवन के सामने ओबीसी विभाग की अगुवाई में छह अगस्त को 11:30 बजे से महाधरना एवं प्रदर्शन के माध्यम से शुरू होगी. मौके पर मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा, सोनाल शांति, कमल ठाकुर, अभिलाष साहू व राजन वर्मा मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है