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शहर में बिना लाइसेंस के चल रहे 30 से अधिक आरओ वाटर प्लांट

पानी का अवैध धंधा, यह सेहत के लिए कितना लाभदायक है इसके बारे में कोई बताने वाला नहीं, जिले में 300 से ज्यादा अवैध आरओ प्लांट सक्रिय

पानी का अवैध धंधा, यह सेहत के लिए कितना लाभदायक है इसके बारे में कोई बताने वाला नहीं

जिले में 300 से ज्यादा अवैध आरओ प्लांट सक्रियप्रतिनिधि, औरंगाबाद सदर.

अगर आप भी पानी का जार लेते हैं तो सावधान हो जाइए. क्योंकि औरंगाबाद शहर में मिलने वाले आरओ का पानी भले कुछ देर के लिए आपके साथ गले को ठंडक पहुंचाने का काम कर रहा हो, लेकिन यह सेहत के लिए कितना लाभदायक है इसके बारे में कोई बताने वाला नहीं है. न तो खाद्य सुरक्षा विभाग और न ही भू-जल बोर्ड इसकी जांच करते हैं. शहर में जल संकट गहराता जा रहा है. इसके बावजूद पानी का अवैध व्यापार दिन-ब-दिन फल-फूल रहा है. जानकारी के अनुसार 30 से अधिक आरओ वाटर प्लांट शहर में बिना किसी लाइसेंस या निगरानी के संचालन में हैं. इन प्लांटों में न तो जल स्रोतों की अनुमति है और न ही जल गुणवत्ता की जांच का कोई प्रमाण. इन प्लांटों की शायद ही कोई सरकारी पदाधिकारी जांच करने जाते हों. जिसे मन आया आरओ प्लांट खोल दिया. सरकारी कार्यालय, निजी कार्यालय, घरों, दुकानों शादी, गृहप्रवेश, मीटिंग सहित अन्य समारोहों में भी इन प्लांट से निकले पानी की आपूर्ति धड़ल्ले से की जा रही है. पानी में कैल्शियम, मैग्निशियम, आयरन आदि कितनी मात्रा में है. मानक के अनुरूप है अथवा नहीं यह बात भी साफ नहीं हो पा रही है. इस कारण बिना मानक के पानी का सेवन करने से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. इतना ही नही शहर में बढ़ती जल संकट की चिंता के बीच चौंकाने वाली सच्चाई यह है कि जिले के 11 प्रखंडों में 300 से अधिक आरओ वाटर प्लांट बिना वैध लाइसेंस के संचालित हो रहे हैं. इनमें से कई प्लांट सिर्फ नाम मात्र के हैं न तो पानी की गुणवत्ता की जांच होती है और न ही किसी प्रकार की निगरानी. खासकर दाउदनगर, ओबरा, नवीनगर, कुटुंबा, देव जैसे प्रखंडों में कई प्लांट संचालित हो रहे है.

बिना लाइसेंस चल रहे प्लांट, प्रशासन मौन

अधिकतर प्लांट बिना किसी सरकारी अनुमति या लाइसेंस के काम कर रहे हैं. नियमानुसार किसी भी आरओ यूनिट को संचालन के लिए जल बोर्ड, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व खाद्य सुरक्षा विभाग से मंजूरी लेनी होती है. लेकिन यहां कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है.

पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं

जिन प्लांटों से रोज़ाना हजारों लीटर पानी की सप्लाई हो रही है, उनमें से अनेक आरओ प्लांट सिर्फ नाम के हैं. पानी की शुद्धता की कोई गारंटी नहीं है. इनसे मिलने वाला पानी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. गौरतलब है कि लो टीडीएस वाटर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसे पीने से शरीर को जरूरी हो सकता तो नहीं मिल पाते हैं और वह फिल्टर होकर बाहर निकल जाते हैं.

गिरते भूजल स्तर की अनदेखी

इन अवैध प्लांटों के कारण भूजल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है. शहर का जलस्तर लगातार घट रहा है. अधिकतर घरों के चापाकल व बोरिंग सुख रहे हैं. बिना किसी जल प्रबंधन नीति के ये प्लांट भूजल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं, जिससे आने वाले समय में गंभीर जल संकट उत्पन्न हो सकता है. जहां एक ओर सरकार और पर्यावरण संस्थाएं जल संरक्षण की मुहिम चला रही हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग मुनाफे के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर रहे हैं. प्राकृतिक संसाधन हमारी धरोहर हैं. यदि समय रहते नहीं चेते, तो भविष्य में जल संकट और भी भयावह रूप ले सकता है.

कार्रवाई की मांग

समाजसेवी दिलीप कुमार सिंह, बब्लू सिंह, भूपेंद्र सिंह, उमेश गुप्ता, संतोष अग्रवाल, परमानंद सिंह आदि लोगों ने प्रशासन से तत्काल जांच और अवैध प्लांटों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है. यदि समय रहते रोक नहीं लगायी गयी, तो जिले को भयावह जल संकट का सामना करना पड़ सकता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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