गोह. देवकुंड थाना से गुरुवार की रात पुलिस हिरासत में रहे दो नाबालिग सहित चार आरोपितों को खिड़की तोड़कर फरार होने का मामला प्रकाश में आया है. चर्चा है कि सभी को चोरी के आरोप में बुधवार की रात गिरफ्तार किया गया था. घटना के बाद थाना प्रशासन में हड़कंप मच गया है और पूरे देवकुंड व आसपास के गांवों में यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. वैसे थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने इस गंभीर लापरवाही की पूरी जिम्मेदारी चौकीदार की बतायी है.
क्या है पूरा मामला?
देवकुंड निवासी विनय साव बुधवार की रात सहस्त्रोधारा तालाब के पास फुटपाथ पर स्थित अपनी मूर्ति और प्रसाद की दुकान में सोया हुआ था. रात लगभग दो बजे कुछ चोरों ने उनके गले से सोने की लॉकेट चुरा ली. जब उन्होंने सुबह आसपास पूछताछ की तो कुछ नाबालिगों के नाम सामने आये. पीड़ित की लिखित शिकायत पर देवकुंड थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने तत्परता दिखाते हुए दो नाबालिग सहित चार आरोपितों को हिरासत में लेकर थाना लाया और पूछताछ शुरू की. पूछताछ देर रात तक चलती रही. पुलिस ने चोरी गयी लॉकेट और कई मोबाइल भी बरामद की. आरोपितों के परिजन रात में थाना आकर खाना खिलाने पहुंचे, जिसके बाद पुलिस ने सभी आरोपितों को एक ही कमरे में बंद कर दिया और चौकीदार को निगरानी में लगा दिया, लेकिन रात के अंधेरे में आरोपितों ने खिड़की तोड़कर फरार होने में सफलता पा ली.
फरारी के बाद परिजनों पर दबाव
सुबह चार बजे चौकीदार की नींद खुली तो आरोपित गायब थे. उसने तत्काल थानाध्यक्ष को सूचना दी और आरोपितों के घर जाकर धमकाना शुरू कर दिया. आरोप है कि बाद में पुलिस बल महिला पुलिसकर्मी के साथ आरोपितों के परिजनों के घर पहुंची और उन्हें जेल भेजने की धमकी दी. खुशबू कुमारी का आरोप है कि उसके पति आदित्य कुमार उर्फ रम्भु को सिर्फ चोरी का लॉकेट खरीदने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने बताया कि रात 10 बजे वह पति को खाना खिलाने थाना पहुंची थी. सुबह चौकीदार उनके घर आकर पूछने लगे कि पति कहां है? जब खुशबू ने पूछा कि जो व्यक्ति थाना में बंद था, वह घर कैसे आ गया, तो चौकीदार ने कहा कि कपड़े बदलने आया है. इसी तरह गुलशन देवी ने भी आरोप लगाया कि उसके पति सोनू कुमार को चोरी के मामले में पकड़ा गया था, लेकिन अब पुलिस उनके घर आकर धमकी दे रही है .थानाध्यक्ष ने कहा चौकीदार को सौपी गयी थी जिम्मेदारी
देवकुंड थानाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार ने कहा, बड़ी मशक्कत के बाद आरोपितों को हिरासत में लिया गया था, लेकिन चौकीदार की लापरवाही ने पानी फेर दिया. जब तक सभी आरोपितों को पुनः गिरफ्तार नहीं कर लेंगे, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे. वैसे चर्चा यह है कि यह मामला केवल एक थाने की चूक नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में थानों की कार्यशैली, निगरानी व्यवस्था और संवेदनशीलता की भी पोल खोलता है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सख्ती जरूरी है, लेकिन उससे पहले पुलिस को खुद के सिस्टम को भी मजबूत करना होगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है