किसानों ने जताया विरोध, कहा-प्रशासन की लापरवाही से हुआ नुकसान गोह. औरंगाबाद की सीमा से सटे करपी प्रखंड के रामपुर चाय गांव में भारी बारिश और नाले का तटबंध टूटने से सैकड़ों बीघा में रोपी गयी धान की फसल पानी में डूब गयी. इससे इलाके के किसानों में आक्रोश है. किसान संतोष सिंह, विनोद सिंह, चंदन कुमार, राम प्रवेश यादव, पिंटू कुमार, समद अंसारी, मृत्युंजय सिंह, अमित शर्मा, विजय सिंह सहित कई किसानों ने कहा कि वे वर्षों से इसी नाले के भरोसे खेती करते हैं, लेकिन हर साल तटबंध टूटने से फसल को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. अरवल जिला विकास मंच के अध्यक्ष और रेल आंदोलन के मुख्य संयोजक मनोज सिंह यादव ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और कहा कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं, बल्कि प्रशासन की वर्षों की लापरवाही का नतीजा है. उन्होंने बताया कि बीते 10 वर्षों से लगातार ज्ञापन और नक्शा के माध्यम से किसानों द्वारा यह मांग की जाती रही है कि औरंगाबाद जिले के पीरू नाले से लेकर जयमंगल बीघा नाले तक दोनों किनारों पर मजबूत तटबंध बनाए जाएं और आठ स्थानों पर डैम का निर्माण किया जाये. मनोज सिंह यादव ने कहा कि रामपुर चाय, कुबड़ी, चैनपुर, कटेश्वर, पचकेश्वर जैसे स्थानों पर डैम बनाने की योजना कागजों तक सीमित रह गई है, और जो डैम महावीरगंज में बना है, वह किसानों के लिए पूरी तरह बेकार साबित हुआ है. उन्होंने इसे सरकार की आंखों में धूल झोंकने जैसा कदम बताया.
स्थायी समाधान की मांग
मनोज सिंह यादव ने कहा कि यदि सरकार वास्तव में किसानों की भलाई चाहती है, तो उसे रामपुर चाय से लेकर जयमंगल बीघा तक तटबंध का जीर्णोद्धार कर स्थायी डैम का निर्माण करना होगा, जिससे बमबई, केयाल, चौहर, बेलखारा, पूरन और दोरा पंचायतों के हजारों किसानों को सिंचाई सुविधा मिल सके. किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन करने को विवश होंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है