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जिले के मीटर रीडरों ने दिया धरना, सरकार के खिलाफ बुलंद की आवाज

बिजली विभाग में पंचायत पर्यवेक्षक का पद सृजित कर उन्हें समायोजित करने की मांग की

बिजली विभाग में पंचायत पर्यवेक्षक का पद सृजित कर उन्हें समायोजित करने की मांग की औरंगाबाद ग्रामीण. शहर के दानी बिगहा स्थित बस स्टैंड के समीप शुक्रवार को बिहार राज्य ग्रामीण विद्युत फ्रेंचाइजी कामगार संघ बिहार राज्य कमेटी के आह्वान पर जिला इकाई द्वारा धरना का आयोजन किया गया. धरना में जिले के सभी मीटर रीडरों ने भाग लिया. प्रदर्शन में शामिल मीटर रीडर ने कहा कि बिहार सरकार की फ्री बिजली योजना का असर अब बिजली मीटर रीडरों की रोज़ी-रोटी पर पड़ने लगा है. शुक्रवार से पूरे राज्य में बिहार सरकार द्वारा 125 यूनिट बिजली फ्री कर दी गई है. ऐसी स्थिति में 60 प्रतिशत से अधिक आबादी का बिजली बिल नहीं आयेगा. 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के कारण गांवों में हजारों स्मार्ट मीटर शून्य यूनिट दिखाने लगेंगे, जिससे उनकी आमदनी ठप हो जायेगी और भुखमरी जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है. पूरे राज्य में 19 हजार पांच सौ मीटर रीडर पूरी तरह बेरोजगार हो जायेंगे. मीटर रीडर दीपक कुमार मौर्य ने बताया कि उनकी प्रमुख मांग है कि बिजली विभाग में पंचायत पर्यवेक्षक का पद सृजित कर उन्हें समायोजित किया जाये. इसके लिए मुख्यमंत्री सहित बिहार सरकार के मंत्रियों और विभागीय अधिकारियों को मांग पत्र प्रेषित किया गया है. मीटर रीडरों ने बताया कि वर्ष 2013 में राज्य सरकार ने रूरल रेवेन्यू फ्रेंचाइजी योजना के तहत गांवों में बिलिंग और राजस्व संग्रहण की जिम्मेदारी दी थी. तब से लेकर अब तक वे घर-घर जाकर मीटर रीडिंग, बिल वितरण और संग्रहण का कार्य करते आ रहे हैं. 2017 में जब निजी कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी गयी, तब कई रीडर मासिक राजस्व कलेक्शन के तहत शामिल हो गये और लगातार कार्य करते रहे. उन्होंने कहा कि बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था या समायोजन के अचानक लायी गयी मुफ्त बिजली योजना से उनका रोजगार संकट में आ गया है. उनका कहना है कि जब हर सरकारी विभाग में कार्यरत कर्मियों के वेतन में नियमित वृद्धि होती है, वहीं मीटर रीडरों को पिछले 10 वर्षों से मात्र तीन प्रतिशत कमीशन पर काम करना पड़ रहा है. पहले यह दर छह प्रतिशत थी. प्रदर्शनकारी मीटर रीडरों का कहना है कि वे मुफ्त बिजली योजना का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि सरकार से यह अपेक्षा कर रहे हैं कि उनके रोजगार और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये. उन्होंने कहा कि उनकी मांगें मानवीय और व्यावहारिक हैं. वे भी परिवार चलाते हैं. यदि पांच दिनों के अंदर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे सड़क पर आ जायेंगे. संघ के अध्यक्ष शंकर कुमार ने बताया कि विगत वर्षों में कई बार एक दिवसीय और सात दिवसीय हड़तालें कर सरकार और विभाग का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. संघ द्वारा पूर्व में जनप्रतिनिधियों तथा विभागीय अधिकारियों को समस्याओं से अवगत कराया गया है, लेकिन विभाग द्वारा अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की गयी है. इस दौरान दीपक कुमार, लालमोहन यादव, रंजन कुमार, ओमप्रकाश कुमार, मंटू कुमार, प्रहलाद कुमार, अभय कुमार आदि मौजूद थे.

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