Sawan 2025: सावन का पावन महीना चल रहा है, जिसे लेकर लोगों में आस्था, उमंग और उत्साह का माहौल है. कांवरिया मार्ग की बात करें तो, गेरुआ रंग में पूरा मार्ग रंगा हुआ है और धूप, अगरबत्ती आदि के खुशबू से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. इसी कड़ी में सुल्तानगंज से देवघर की बीच की बात करें तो कई ऐसे महत्वपूर्ण जगह हैं जो प्राकृतिक और सौंदर्यकरण से भरा हुआ है. जैसे सुईया पहाड़ कांवरिया मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बांका जिले में स्थित है. यह पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. सुल्तानगंज से देवघर कांवर लेकर पैदल यात्रा करने वाले कांवरिया अपनी कठिन चढ़ाई के लिए इस पहाड़ को अग्नि परीक्षा मानते हैं. माना जाता है कि, जो कांवरिया सुल्तानगंज से पैदल यात्रा कर इस पहाड़ पर पहुंचते हैं उनकी बाबाधाम पहुंचने की इच्छा तेज हो जाती है. साथ ही सारा थकान दूर हो जाता है.

सुईया पहाड़ की बेहद खास मान्यता
सुईया पहाड़ धार्मिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कांवरिया मार्ग का एक हिस्सा है और शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. सुईया पहाड़ की चढ़ाई कांवरियों के मन और शरीर को चुनौती देती है. जिससे उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प मजबूत होता है. वहीं, इस मार्ग से पैदल गुजरने वाले शिव भक्तों की माने तो, सावन के महीने में इस पहाड़ का एक अलग ही महत्व है. बताया जाता है कि, सावन के पवित्र महीने में शिव अपने पूरे परिवार के साथ इस पहाड़ी पर विराजमान रहते हैं. सुल्तानगंज से पदयात्रा कर यहां पहुंचने वाले कांवरिया श्रद्धालु जो भी अपनी आस्था के साथ मन्नते रखते हैं, बाबा भोले उन भक्तों की मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. इसीलिए इस पहाड़ के सबसे ऊंचाई पर जैसे ही कांवरिया पहुंचते हैं, सबसे पहले छोटे और बड़े पत्थर के टुकड़े को एक-दूसरे के ऊपर रखकर मकान के स्वरूप को तैयार करते हैं.

मनोकामना होती है पूरी
वहीं, पत्थर इकट्ठा करने के बारे में कहा जाता है कि, सुईया पहाड़ पर अगर आस्था के साथ जो भी भक्त अपने मन में मनोकामना रखते हैं, उन भक्तों की कामना अवश्य पूरी होती है. ऐसा दृश्य पूरे सुईया पहाड़ पर जगह-जगह देखने को मिलता है. जबकि ऐसा भी कहा जाता है कि, सुल्तानगंज से पैदल यात्रा करने में जिस कांवरिया को रास्ते में परेशानी होती है, इस पहाड़ को पार करने के बाद उनकी सारी परेशानी दूर हो जाती है. इसके बाद तेजी से वे बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर निकलते है.

कांवरियों के लिए कठिन परीक्षा
सुईया पहाड़ की चढ़ाई कांवरियों के लिए एक कठिन परीक्षा मानी जाती है. खासकर जब वे नंगे पैर और कांवर में गंगाजल भरकर चढ़ते हैं. सुईया पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे जंगल और झरनों के लिए भी जाना जाता है. जिस कारण यहां कांवरिया बैठकर आनंद के पल बिताते हैं. जबकि उस पहाड़ के ऊंची चोटी पर सजी दर्जनों खान-पान की दुकान पर भी बैठकर विभिन्न तरह के व्यंजन का स्वाद लेते हैं.

(बांका से चंदन कुमार की रिपोर्ट)
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