सावन और शिवरात्रि में उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़, 350 वर्ष पुराना है इतिहास
गौरव कश्यप, पंजवारा. बांका जिले का पैर पहाड़ी क्षेत्र धार्मिक आस्था का गढ़ बनता जा रहा है. मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष को पीने के बाद जब भगवान शिव चल पड़े, तो उनका पहला कदम यहीं की धरती पर पड़ा. तभी से यह जगह ‘पैर पहाड़ी’ के नाम से जानी जाती है और यहां स्थित शिव मंदिर को लेकर शिवभक्तों में गहरी आस्था है. धोरैया प्रखंड के पैर पंचायत में अवस्थित यह पहाड़ी शिवधाम सावन और महाशिवरात्रि के मौके पर हजारों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. झारखंड सहित आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार यहां साल भर पूजा होती है, लेकिन सावन और शिवरात्रि पर विशेष आयोजन होता है.मुगलकालीन शैली में बना है मंदिर
पैर पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर का निर्माण मुगलकालीन शैली में हुआ माना जाता है. पत्थरों से बने इस प्राचीन मंदिर की वास्तुकला आज भी लोगों को आकर्षित करती है. श्रद्धालुओं के मुताबिक यह मंदिर 350 वर्ष से भी अधिक पुराना है. मंदिर के चौखट व शिल्प पर इसकी ऐतिहासिकता के प्रमाण मौजूद हैं.शिवपुरी शिव मंदिर की महिमा
पैर पहाड़ी क्षेत्र में ही हियेश्वर पहाड़ी के नाम से प्रसिद्ध शिवपुरी शिव मंदिर भी स्थित है. यह मंदिर हरियाली से घिरा हुआ है, जहां बेल, पलाश, कंद, मूल, माधवी लता सहित कई औषधीय पौधों की उपस्थिति इस क्षेत्र को आध्यात्मिक और प्राकृतिक रूप से समृद्ध बनाती है. मंदिर के पुजारी प्रेम कुंदन बिहारी ने बताया कि यह मंदिर उनकी सातवीं पीढ़ी द्वारा संचालित किया जा रहा है. मुख्य पुजारी लाली बाबा उर्फ चेतनानंद शास्त्री वर्ष 1980 से मंदिर और आसपास की हरियाली को संवारने के अभियान से जुड़े हुए हैं. सावन और शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का भी आयोजन होता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं.स्थानीय लोगों की राय
स्थानीय ग्रामीण पारस कुमार सिंह कहते हैं कि यह स्थान महादेव के विषपान से जुड़ी कथा के कारण धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां सुविधाओं का विस्तार कर इसे धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. वहीं मंजू महतो बताती हैं कि शिवपुरी मंदिर और पैर पहाड़ी क्षेत्र में महादेव की कृपा से क्षेत्र के लोग सुख-समृद्धि का जीवन जीते हैं. यहां बारहों मास पूजा-अर्चना होती रहती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है