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नाला की सफाई के एक वर्ष बाद भी नहीं लग पाया ढक्कन, हादसे की आशंका

नगर पंचायत के नेशनल हाईवे के किनारे जल निकासी के लिए बनाया गया नाला इन दिनों जानलेवा साबित हो रहा है.

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया सफाई का कार्य

बौंसी. नगर पंचायत के नेशनल हाईवे के किनारे जल निकासी के लिए बनाया गया नाला इन दिनों जानलेवा साबित हो रहा है. नाला की उड़ाही नप प्रशासन के द्वारा कराने के बाद इन नालों पर ढक्कन अबतक नहीं लगाया गया है. जिसके कारण नाले की स्थिति खराब होती जा रही है. मालूम की बौंसी बाजार में नेशनल हाईवे के किनारे नाला का निर्माण कराया गया था. जिसकी सफाई कभी नहीं हुई थी. फरवरी 2024 में नगर पंचायत ने मुख्य नाले की सफाई का कार्य आधे अधूरे तरीके से किया. उस वक्त नाले पर लगे ढक्कन को जेसीबी की मदद से हटाया गया था. ढक्कन हटाने के दौरान कई जगह के ढक्कन टूट गये. अब एक साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. इन नालों के ऊपर ना तो पुराने ढक्कन लगाए गए और ना ही उनकी बेहतर तरीके से सफाई की गई. सड़क के किनारे खुले नाले रहने की वजह से अक्सर दुर्घटना होती रहती है. इस मार्ग से प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री वाहनों, स्कूली वाहनों के साथ-साथ मालवाहक वाहनों का आना-जाना होता है. अगर पहल नहीं किया गया तो बारिश के दिनों मे बड़ी घटना से इनकार नहीं किया जा सकता है. नाले की सफाई करने के कारण नाला की दीवार भी कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इनका बाद भी नगर पंचायत प्रशासन मौन साधे हुए हैं.

सफाई के बाद करीब 35 लाख का दिया गया था बिल

हालांकि नगर पंचायत के नेशनल हाईवे स्थित नाले की सफाई भ्रष्टाचार की भेंट भी चढ़ चुका है. जानकारों की माने तो इसकी सफाई और मरम्मती के लिए करीब 35 लाख रुपए का बिल भी नगर पंचायत कार्यालय को सौंप दिया गया है. लेकिन वार्ड पार्षद संजय यादव, मृणाल कुमार, गुलशन सिंह, श्रीकांत यादव, पार्षद प्रतिनिधि श्रवण यादव सहित अन्य पार्षदों के विरोध की वजह से अभी तक उस राशि की निकासी नहीं की जा सकी है. इन पार्षदों ने आरोप लगाया था कि जितनी बड़ी राशि का बिल दिया गया है उसके एवज में कार्य बिल्कुल नगण्य है. इतना ही नहीं तत्कालीन कार्यपालक पदाधिकारी ने उक्त राशि की निकासी के लिए चेक जारी कर बैंक भी भेज दिया था. नगर पंचायत की कार्यपालक पदाधिकारी नेहा रानी के द्वारा पदभार ग्रहण करने के कुछ ही दिनों के बाद राशि निकासी के लिए प्रयास किया गया था. लेकिन जब मामले की पूरी जानकारी कार्यपालक पदाधिकारी को मिली तो उन्होंने तत्काल इसकी निकासी पर रोक लगा दी है. अगर जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी इस मामले की पड़ताल करेंगे तो पूरी सच्चाई सामने आ जायेगी.

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