बेटी की आंख की रोशनी लौटाने के लिए डॉक्टरों का चक्कर लगा रहे पिता ने अब तक अपनी गाढ़ी कमाई का 70 हजार रुपये खर्च कर दिया है. अब अपने परिवार के भरण-पोषण की चिंता सता रही है. जबकि, चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने लड़की की आंख के ऑपरेशन के लिए 15 लाख रुपये व्यवस्था करने को कहा है.
पीड़ित पिता पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधि के दरबार का चक्कर लगा रहे हैं. गरीब बिनोद कुमार सिंह अपनी पांच वर्षीय बेटी रिया भारती की आंख की रोशनी बचाने के लिए सरकारी दफ्तरों, जनप्रतिनिधियों और अस्पतालों का चक्कर लगा रहे हैं. छह जून को हुई सड़क दुर्घटना ने मासूम रिया की दुनिया में अंधेरा ला दिया है. रिया को स्कूल मैदान से घर लौटते वक्त एक बाइक सवार ने टक्कर मार दी थी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गयी और उसकी दायीं आंख में गहरी चोट लगी थी.सबसे पहले नवगछिया से आईजीआईएमएस रेफर की गयी थी रिया
आंख में गहरी चोट के बाद रिया को परिजनों ने नवगछिया के एक निजी क्लिनिक में भर्ती कराया लेकिन स्थिति गंभीर देख चिकित्सकों ने पटना स्थित आईजीआईएमएस रेफर कर दिया था. वहां से उसे देविका आई अस्पताल, फिर शंकर नेत्रालय कोलकाता और अंत में चंडीगढ़ के ग्रेवाल आई इंस्टीच्यूट तक ले जाया गया लेकिन हर जगह से निराशा ही हाथ लगी. चंडीगढ़ के डॉक्टरों ने इलाज के लिए 15 लाख रुपये की मांग की है, जो एक गरीब मजदूर के लिए मुश्किल है. बिनोद कुमार मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार पत्नी रिंकु देवी और दो बेटों बिट्टू कुमार एवं विशाल कुमार, पुत्री रिया का पालन-पोषण कर रहे हैं. बेटी के इलाज में अब तक वे 70 हजार रुपये खर्च कर चुके हैं, और अब उनके पास आगे इलाज का कोई साधन नहीं बचा है.सांसद से भी लगा चुके हैं गुहार
पीड़ित पिता ने भागलपुर सांसद अजय मंडल से भी मुलाकात कर मदद की गुहार लगायी, लेकिन अब तक कोई ठोस सहायता नहीं मिली है. वहीं, दुर्घटना को अंजाम देने के आरोपित खगड़ा निवासी वरुण सिंह उर्फ बाना के पुत्र छोटू कुमार की ओर से भी अब तक किसी तरह की मदद नहीं मिली है. नवगछिया थाना में इस मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज है. बिनोद कुमार सिंह कहते हैं कि अब सहायता के हाथ ही मेरी बेटी के आंख की रोशनी वापस ला सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है